Tribal Food Festival: उदयपुर के टाउन हॉल परिसर में 17 से 19 तारीख तक आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी खाद्य महोत्सव के साथ एक अनूठा पाक कला और सांस्कृतिक उत्सव भी शुरू होने जा रहा है। आपको बता दें कि इस विशेष आयोजन को जनजातीय गौरव वर्ष के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है। यह भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष में मनाया जा रहा है। इसी के साथ आपको बता दें कि इस महोत्सव का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा माणिक्य लाल वर्मा जनजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से किया जा रहा है।
पाक कला विरासत का उत्सव
यह उत्सव उदयपुर में पहली बार आयोजित होने जा रहा है। इस उत्सव में भारत भर के आदिवासी समुदायों के विविध और समृद्ध पारंपरिक व्यंजन प्रदर्शित किए जाएंगे। महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, बिहार और राजस्थान की जनजातीय अपने अनोखे खाद्य व्यंजन और संस्कृति को प्रस्तुत करने के लिए एक साथ आएंगी। भोजन प्रेमियों और संस्कृति प्रेमियों दोनों के लिए यह एक दर्शनीय कार्यक्रम होगा।
100 से ज्यादा आदिवासी पाक कला कलाकार भाग लेंगे
अलग-अलग राज्यों से 100 से ज्यादा आदिवासी पाक कला कलाकार अपने कौशल और पारंपरिक व्यंजनों को प्रदर्शित करेंगे। इसी के साथ आगंतुक जनजातियों द्वारा तैयार किए गए प्रमाणिक व्यंजनों का स्वाद भी मिलेगा।
मुख्य आकर्षणों में क्या है शामिल
दरअसल इस आयोजन में महाराष्ट्र के महादेव कोली जनजाति द्वारा प्रस्तुत मसवाड़ी, डांगर भाकरी और कड़क मकरी मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसके अलावा केरल की कुरुलिया और माविलन जनजातियों द्वारा प्रस्तुत लाल ज्वार के लड्डू, कुटकी भारत और जंगली शकरकंद भाजी, जम्मू कश्मीर की गुर्जर जनजाति द्वारा कद्दू की खीर और कुंगी मुकुम, बिहार की निर्मला जनजाति द्वारा रागी और चावल के लड्डू भी मुख्य आकर्षण रहेंगे।
राजस्थानी आदिवासी स्वादों पर विशेष ध्यान
राजस्थानी आदिवासी ताली इस महोत्सव में मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसमें राजस्थान की भील, मीणा, गरासिया और सहरिया जनजातियों के व्यंजन शामिल किए जाएंगे। खास व्यंजनों में कुलाढ़ की घुगरी, मक्के का खिचड़ा, महुआ लड्डू, बाजरे का सोगरा, केर सांगरी की सब्जी, महुआ के देकले शामिल हैं।
आदिवासी संस्कृति की एक झलक
आपको बता दें कि इस समारोह में खाने पीने के स्टॉलों के अलावा जैविक उत्पादों की प्रदर्शनी भी की जाएगी। इसमें आदिवासी समुदाय के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पारंपरिक कृषि पद्धतियों और वन उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसी के साथ इस उत्सव की आकर्षक विशेषता यह है कि इसमें प्रवेश पूरी तरह से निशुल्क है। कोई भी इसमें भाग ले सकता है और आदिवासी विरासत और व्यंजनों की समृद्धि का अनुभव कर सकता है।
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