Right To Education Policy: राजस्थान में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के आधार पर शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों में प्रवेश नीति को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है, जिसका खामियां बच्चे और उनके अभिभावकों को चुकाना पड़ रहा है। कुछ समय पहले हाई कोर्ट ने आपके द्वारा स्पष्ट किया गया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेश एंट्री लेवल क्लास में ही दिए जाएंगे। इसके बाद प्राइवेट स्कूलों ने उनकी प्रवेश नीति का गलत अर्थ निकाल लिया।
निजी स्कूलों और शिक्षा विभाग में विवाद
निजी स्कूलों द्वारा कहा गया कि प्रवेश की एंट्री लेवल क्लास हमारे नर्सरी है, इसलिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत नर्सरी से ही बच्चों को प्रवेश दे रहे हैं। वहीं शिक्षा विभाग ने कहा कि हाई कोर्ट के इस प्रवेश नीति का गलत अर्थ निकाला गया है। जिस वजह से इसकी कीमत अभिभावकों और बच्चों को भी चुकानी पड़ रही है। इससे लाखों बच्चों का भविष्य खतरे में है। इस विवाद के कारण कई बच्चों का प्रवेश नहीं लिया जा रहा है।
मतभेद का कारण
शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों के बीच विवाद का कारण फीस पुनर्भरण है, क्योंकि शिक्षा विभाग केवल पहली कक्षा के बच्चों की फीस देता है। लेकिन स्कूल नर्सरी के लिए भी RTE की मांग कर रहे हैं, क्योंकि कई सालों से नर्सरी क्लास के बच्चों की फीस प्रदान नहीं की गई है। जिस वजह से दोनों के मध्य मतभेद की स्थिति बनी हुई है।
ऑनलाइन लॉटरी से तीन लाख बच्चों का प्रवेश
राजस्थान शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से तीन लाख से अधिक बच्चों को निजी विद्यालयों में प्रवेश दिया। इस प्रक्रिया में लाखों छात्रों का पहली कक्षा में चयन किया गया था। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने लॉटरी की इस प्रक्रिया को शुरू किया था। साथ ही इसके अभिभावक और विद्यालय अपनी शिकायत दर्ज करवा सकें, इसलिए एक पोर्टल बनाया गया था।
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