Trinetra Ganesh Temple: सवाई माधोपुर जिले के ऐतिहासिक रणथंभौर किले में श्री गणेश का एक शानदार मंदिर है। यह मंदिर अपनी भव्यता के साथ-साथ अनूठी परंपरा और गहन आध्यात्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यहां पर त्रिनेत्र गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है। बाकी गणेश मंदिरों के विपरीत इस मंदिर में भगवान गणेश को उनके पूरे परिवार पत्नी ऋद्धि सिद्धि, पुत्र शुभ लाभ और उनके वाहन मूषक के साथ देखा जा सकता है।
मंदिर के पीछे की ऐतिहासिक कथा
इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा हम्मीर के शासनकाल के दौरान हुआ था। दरअसल उस वक्त किले पर अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने घेरा डाल रखा था। इस वजह से भोजन और रसद की भारी कमी हो चुकी थी। एक रात राजा को भगवान गणेश का सपना आया। सपने में श्री गणेश ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी चिंताएं दूर हो जाएगी। अभी सुबह एक चमत्कार हुआ। श्री गणेश की तीन नेत्र वाली मूर्ति वहां पर प्रकट हुई और राजा के भंडार रहस्यमय तरीके से अनाज से भर गए। युद्ध जल्द ही खत्म हो गया और 1300 ईस्वी में राजा ने इस दिव्य वक्त की स्मृति में मंदिर का निर्माण कर दिया।
त्रिनेत्र गणेश और उनके परिवार का महत्व
भक्तों का कहना है कि मंदिर में आकर गणपति और उनके परिवार का आशीर्वाद लेने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इतना ही नहीं बल्कि परिवार का यह अनूठा चित्रण मंदिर के आध्यात्मिक आकर्षण को और भी ज्यादा बढ़ा देता है।
बप्पा को पत्र लिखने की परंपरा
इस मंदिर की एक खास परंपरा भी है। दरअसल हर दिन हजारों भक्त अपनी इच्छाओं, प्रार्थनाओं और समस्याओं को व्यक्त करते हुए श्री गणेश को पत्र भेजते हैं। पुजारी जी इन पत्रों को भगवान के चरणों में रखते हैं। ऐसा कहां जाता है कि गणपति बप्पा भक्तों की हार्दिक प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं और उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
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