हिंदू घरों में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या पुरुषों का झाड़ू-पोछा करना शुभ है या अशुभ। कुछ लोग कहते हैं कि इससे देवी लक्ष्मी नाराज़ होती हैं, जबकि कुछ इसे सेवा का काम मानते हैं। आइए, शास्त्रों, पुराणों और वास्तु शास्त्र के आधार पर सच्चाई जानते हैं।

क्या कहता है शास्त्र और पुराण

धार्मिक ग्रंथों में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि सिर्फ़ महिलाएं ही झाड़ू-पोछा कर सकती हैं। श्रीमद् भगवद गीता और रामचरितमानस के अनुसार, भगवान राम और भगवान कृष्ण ने खुद अपनी झोपड़ियों की सफाई की थी। हनुमान जी ने भी माता सीता की सेवा में झाड़ू लगाई थी। महाभारत के अनुसार, विदुर ने भगवान कृष्ण के लिए घर में झाड़ू लगाई थी। इसका मतलब है कि पुरुष का झाड़ू-पोछा करना सेवा, विनम्रता और भक्ति का प्रतीक है, और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

वास्तु शास्त्र में क्या है इसकी मान्यता

वास्तु शास्त्र में घर की सफाई को धन आकर्षित करने का सबसे बड़ा ज़रिया माना गया है। जब कोई पुरुष झाड़ू लगाता है, तो घर में मर्दाना ऊर्जा (सूर्य) और स्त्री ऊर्जा (चंद्रमा) का संतुलन बनता है। इससे घर में शांति और सद्भाव बढ़ता है। ज्योतिष में, सफाई से शनि और राहु प्रसन्न होते हैं – जब कोई पुरुष झाड़ू लगाता है, तो उसे सीधे शनि का आशीर्वाद मिलता है। करियर और व्यापार में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं, और घर में समृद्धि आती है।

समाजिक और क्षेत्रिय भाषा

यह धारणा कि पुरुषों को झाड़ू नहीं लगानी चाहिए, सिर्फ़ एक क्षेत्रीय और सामाजिक रीति-रिवाज है, और इसका शास्त्रों में कोई आधार नहीं है। प्रेमानंद जी महाराज, मोरारी बापू और कई अन्य संतों ने साफ-साफ कहा है कि जो भी घर में झाड़ू लगाता है, वह देवी लक्ष्मी को सबसे प्रिय होता है – चाहे वह पुरुष हो या महिला।