Sant Laldas Temple: राजस्थान के अलवर रियासत के मेढ़े पर स्थित भरतपुर रियासत के गांव नंगला में मेवात के संत लालदास का ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। यहां सालाना लाखों भक्त मंदिर में दर्शन करने पहुंचते हैं। बता दें कि संत लालदास का देवलोकगमन 108 वर्ष की उम्र में संवत 1648 में हुआ था। शेरपुर में उन्होंने समाधि ली थी।

माना जाता है कि उनका जन्म मुगल शासन के दौरान हुआ था। स्थानीय लोग बाबा लालदास महाराज को उनकी पवित्रता और आचरण की शुद्धता के लिए पूजते आ रहे है। उन्होंने अपने पूरे जीवन में लोगों को मांस, मदिरा और धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित किया। साथ ही लोगों को सभी जीवों पर दया की शिक्षा दी। सत्य और सदाचरण की राह पर चलने को कहा। 

ये भी पढ़ें:- Rajasthan Village: राजस्थान का वो गांव जहां छह संतों ने एक साथ ली थी जिंदा समाधि, जानें यहां से जुड़े रोचक और चमत्कारिक किस्से

कैसे हुआ था मंदिर का निर्माण?

पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार एक व्यापारी का जहाज समुद्र में डूब रहा था, जिसके बाद जहाज चालक ने उन्हें बाबा को याद करने को कहा, इसके बाद व्यापारी ने बाबा को याद करना शुरू कर दिया और उसका डूबता जहाज नदी के किनारे पर आ गया। बाबा के इस चमत्कार को देखकर व्यापारी ने शेरपुर गांव में मंदिर का निर्माण कराया। वहीं कई लोगों का कहना है कि ग्रामीणों ने मिलकर बाबा का यह मंदिर बनवाया था। 

मंदिर की सीमा पर पैर रखने मात्र से ही दूर हो जाते हैं कष्ट 

शेरपुर स्थित महान संत लालदास का यह मंदिर उत्तर भारत में सांप्रदायिक सद्भाव का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। जानकारी के मुताबिक यह मंदिर 300 से ज्यादा साल पुराना है। मान्यता है कि संत लालदास के आशीर्वाद से इस मंदिर की सीमा पर पैर रखने से ही भक्तों के सभी रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं। मेवात में शादी समारोह, संतान जन्म आदि शुभ कार्यों में लोग यहां आकर बाबा का आशीर्वाद लेते हैं। इस मंदिर में संत लालदास के अलावा मां माई भोगरी, बहन सरूपा और पहाडा महाराज की भी जगह बनी हुई हैं। माना जाता है इनके दर्शन के बिना संत के दर्शन अधूरे होते है।