Ranakpur Mandir: राजस्थान अपने इतिहास और अपनी संस्कृति के लिए खास महत्व रखता है। कहा जाता है कि यहां कण- कण में भगवान विराजमान हैं। यहां लगभग हर शहर का अपना अलग इतिहास है। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के पाली जिले के रणकपुर गांव में है। यह एक जैन मंदिर है, जो पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को समर्पित किया गया है। इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा के मंत्री धरण शाह ने बनवाया था।
मंदिर बनाने में लगा 50 सालों का समय
वैसे तो हर मंदिर अपने आप में खास होता है लेकिन अगर इस मंदिर की खासियत की बात करें तो बता दें कि यह मंदिर भी काफी खास है। इस मंदिर को बनने में 50 सालों का समय लगा। इसे सफेद रंग के संगमरमर पत्थर से बनाया गया है। इसे चतुर्मुख या चौमुख मंदिर भी कहा जाता है, क्योंकि इस मंदिर के चार मुख हैं। इस मंदिरों को 48 हजार स्क्वायर मीटर में बनाया गया है।
क्या है मंदिर की खासियत
इस मंदिर में 1444 खंभे, 80 गुंबद और 29 हॉल बनाए गए हैं जिस पर खूबसूरत नक्काशी की गयी है। इसमें सबसे अनोखी बात ये है कि इस मंदिरों का एक खंभा टूटा हुआ है। कहा जाता है कि जब इसे बनाया गया था, उसके अगले दिन ही ये खंभा टूट गया था। इस मंदिर में चौरासी भोमिया भी बनाई गयी हैं, जो एक तरह के कक्ष हैं। इन्हें मंदिर की मूर्तियों को हमले से रोकने के लिए अशांति के समय बनवाया गया था।
कैसी है पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति
इस मंदिर में की गयी नक्काशी तो वहां जाने वाले भक्तों का मन मोह लेती है। इसके अलावा मंदिर की मूर्ति भी काफी खूबसूरत और खास है। कहा जाता है कि इस मूर्ति को पत्थर के एक ही स्लैब से बनाया गया है। इसके चारों तरफ 1008 सांपों की नक्काशी की गयी है। इसके साथ ही इसमें एक चौरी भालू, एक यक्ष और यक्षिणी बनाए गए हैं, जो आधे इंसान और आधे सांप हैं।
पार्श्वनाथ की मूर्ति के दोनों तरफ एक- एक हाथी भी बनाया गया है, जिनकी पूंछ का अंत नहीं दिखता और ये हाथी मूर्ति को पवित्र करते नजर आते हैं। इस मंदिर खा परिसर में कई और मंदिर भी बनाए गए हैं, जैसे- सूर्य मंदिर, चौगान का मंदिर और सेठ की बावड़ी मंदिर आदि।










