rajasthanone Logo
Mata Rajarajeshwari: भरतपुर के लोहागढ़ किले के पास पृथ्वीराज चौहान की इष्ट देवी का राजराजेश्वरी का प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि माता ने अपने पैरों के नीचे महिषासुर को दबा रखा है। साल में दो बार भक्तों को माता के चरणों का दर्शन का मौका मिलता हैं।

Mata Rajarajeshwari: राजस्थान के प्रसिद्ध लोहागढ़ किले के पास स्थित सुजान गंगा नहर के किनारे पृथ्वीराज चौहान की इष्ट देवी का राजराजेश्वरी का प्राचीन मंदिर स्थित है। शहरवासियों समेत पूरे राजस्थान के लोगों के लिए यह आस्था का प्रमुख केंद्र है। नवरात्र में इस मंदिर में भक्तों की भारी उमड़ती है। माता राजराजेश्वरी को चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान की इष्ट देवी माना जाता है। बता दें कि महाराजा जवाहर सिंह ने भरतपुर में माता की मूर्ति की स्थापना कराई थी। यह मूर्ति भरतपुर कैसे आई इसके पीछे का इतिहास काफी रोचक है। 

दिल्ली से भरतपुर कैसे पहुंची मूर्ति 

मंदिर के पुजारी अजय शर्मा ने जानकारी दी कि देवी को आखिरी हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान की इष्ट देवी माना जाता है। पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली पर राज था। जब मुगलों ने दिल्ली पर हमला बोला तब उन्होंने देवी की मूर्ति को एक बक्से में बंद कर दिया और इस बक्से को खजाने के साथ रख दिया था। भरतपुर के महाराजा जवाहर सिंह ने जब दिल्ली पर फतेह हासिल की जब उन्होंने मूर्ति को मुगलों के खजाने से निकालकर भरतपुर में स्थापित की थी। 

ये भी पढ़ें:- भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला: बेटियों के सशक्तिकरण की नई पहल, लाडो प्रोत्साहन योजना राशि बढ़कर हुई 1.5 लाख

सपने में आकर माता ने दिया था आदेश

पुजारी अजय शर्मा ने कहा कि माता की मूर्ति वाला बक्सा खजाने के साथ दिल्ली से भरतपुर आ चुका था, लेकिन महाराज जवाहर सिंह को यह नहीं मालूम था कि खजाने में माता की प्राचीन मूर्ति भी है। इसके बाद सपने में माता राजराजेश्वरी ने महाराजा जवाहर सिंह को सपने में आदेश दिया कि उनकी मूर्ति बक्से में है और वे उसे निकालकर स्थापित कर दें। अगली सुबह महाराजा जवाहर सिंह ने माता राजराजेश्वरी की मूर्ति को सुजान गंगा के करीब स्थापित कराया और माता की पूजा अर्चना कराई। 

साल में दो बार होते हैं माता के चरणों के दर्शन 

पुजारी ने बताया कि माता की मूर्ति काफी आकर्षक है। माना जाता है कि माता ने अपने पैरों के नीचे महिषासुर को दबा रखा है। नवरात्रि में माता का खास श्रृंगार किया जाता है और साल में दो बार भक्तों को माता के चरणों का दर्शन का मौका मिलता हैं। इस दौरान दूर-दराज से भक्त माता के दर्शन करने आते हैं।

5379487