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Dhanop Mata Mandir: भीलवाड़ा जिले के धनोप गांव में स्थित शीतला माता का मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां माता अपनी सात बहनों के साथ टीले की खुदाई के दौरान प्रकट हुई थी।

Dhanop Mata Mandir: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित धनोप माता का मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां सालाना लाखो भक्त शीतला माता के दर्शन करने आते हैं। माना जाता है कि इस स्थान पर माता पर माता टीले की खुदाई के दौरान प्रकट हुई थी। .

मंदिर से जुड़ा इतिहास

माना जाता है कि प्राचीन काल में यह जगह राजा धुंध की नगरी के नाम से प्रसिद्ध था, इसे ताम्बावती नगरी भी कहा जाता था। खारी नदी के किनारे पर राजा धुंध किला सदियों से बना हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार वे जगन्नाथ पुरी दर्शन करने गए थे। रास्ते में वे जैसे ही कलकत्ता पहुंचे वहीं देवी ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें वापस लौट जाने को कहा।

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माता उन्हें कहा कि मैं तुम्हारे गांव में बालू रेत के एक टीले में दबी हुई हूं। राजा ने इसके बाद भी एक हफ्ते तक श्री जगन्नाथ पुरी जाने की जिद करते रहे। जैसे ही राजा कलकत्ता पहुंचे वे अंधे हो गए। वहां से वापस लौटकर उनकी आंखों की रोशनी वापस आ गई।

अपने गांव पहुंचकर उन्होंने गाजे-बाजे के साथ टीले की खुदाई करवाना शुरू किया था। 90 फीट उंचे व 100 फीट चौड़े वर्गाकार टीले से रेत हटाते ही माता अपनी सात बहनों के साथ लोगों के सामने आई। इनमें श्री अष्टभुजा जी, अन्नपूर्णा जी, चामुंडा जी, महिषासुर मर्दिनी और श्री कालका जी हैं, जहां हर साल पांचों मूर्तियों के श्रृंगार किए जाते हैं।

11वीं शताब्दी पुराना मंदिर

जानकारी के मुताबिक धनोप माता मंदिर करीब 11वीं शताब्दी पुराना है। धनोप माता का यह प्राचीन मंदिर एक ऊंचे टीले पर स्थित है। धनोप गांव में स्थित होने के कारण शीतला माता के इस मंदिर को धनोप मंदिर के नाम से जाना जाता है।

मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ाते हैं सवामणी का प्रसाद

इस ऐतिहासिक मंदिर में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर माता को सवामणी का प्रसाद चढ़ाते हैं। यहां नवरात्रि में मेले का खास आयोजन किया जाता है। भक्तगण यहां झूमकर माता के भजन गाते है और माता को भोग लगाते हैं।

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