Gaon Lamba Ki Dhani: देश में कई धार्मिक मान्यताएं और रीति रिवाज की जड़े फैली हुई है। लेकिन राजस्थान का एक ऐसा गांव है जो अपनी एक अलग राह बनाकर बैठा है। चुरू जिले के तारानगर तहसील में स्थित लंबा की ढाणी एक ऐसा गांव है जहां पर एक भी मंदिर नहीं है। आईए जानते इसके पीछे का राज।
बिना मंदिर का गांव
भारत के अधिकांश गांव के विपरीत इस गांव में एक भी मंदिर नहीं है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि यहां पर लोग अस्थि विसर्जन भी नहीं करते। बल्कि दाह संस्कार के बाद बची हुई अस्थियों को वापस से जला दिया जाता है और रात में बदल दिया जाता है। यह प्रथा 65 साल पहले गांव वालों की सहमति से शुरू हुई थी।
कर्म में रखते हैं विश्वास
इस गांव में मुख्य रूप से 100 जाट परिवार और नायक और मेघवाल समुदाय के परिवार रहते हैं। यहां के गांव वाले 'कर्मण्येवाधिकारास्ते मां फलेषु कदाचना ' के सिद्धांत पर चलते हैं। जिसका अर्थ है परिणाम से लगाव के बिना कर्तव्य पर ध्यान दें।
सफलता की मिसाल
इस गांव के 25 से 30 युवा भारतीय सेना और पुलिस में सेवारत है। इसी के साथ 20 से ज्यादा लोग भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि 25 से ज्यादा चिकित्सा के क्षेत्र में काम करते हैं तो पांच राष्ट्रीय स्तर के खेलों में पदक जीत चुके हैं। इसी के साथ दो पेशेवर खेल प्रशिक्षक के रूप में भी काम करते हैं।
यहां के लोगों ने लंबे समय से मूर्ति पूजा और धार्मिक चीजों से खुद को दूर रखा है । इसका कारण यह नहीं है कि वें नास्तिक हैं। बल्कि इसलिए क्योंकि वें अंधविश्वास से ज्यादा कर्म को महत्व देते हैं।