Rajasthan River: राजस्थान के अलवर जिले की एक पहाड़ी से निकलने वाली रूपारेल नदी 20वीं शताब्दी में भरतपुर और अलवर के बीच विवाद का कारण रह चुकी है। इसे बारा नदी के नाम से भी जाना जाता है। यमुना नदी की यह सहायक नदी थानागाजी तहसील के टोडी गांव की उदयनाथ की पहाड़ी से होता है। अलवर और भरतपुर जिले से होते हुए यह यूपी के आगरा व मथुरा से यमुना नदी में मिल जाती है। 

ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने सुनाया था फैसला 

नदी के जल बंटवारे को लेकर हो रहे विवाद का फैसला सुनाते हुए साल 1926 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा नटनी का बारा का निर्माण कराया गया था। इसी वजह से रूपारेल नदी को बारा नदी भी कहा जाने लगा। आस-पास काफी जंगलों की कटान होने के कारण समय के साथ साथ यह नदी एक बरसाती नदी में तब्दील हो गई। 

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नदी से हो चुके हैं 590 जल संरचनाओं के निर्माण

चार हजार से अधिक किलोमीटर के जलागम क्षेत्र में फैली रूपारेल नदी की लंबाई 104 किमी है। साथ ही तरुण भारत संघ की ओर से जन सहभागिता से अब तक इस नदी से 590 जल संरचनाओं के निर्माण हो चुके है। इन संरचनाओं की देखभाल की जिम्मेदारी गांव विकास संगठन की होती है। 

अलवर और भरतपुर के बीच विवाद 

दरअसल, अलवर के तत्कालीन राजा इस नदी के पानी को अपने राज्य अलवर में ही रखना चाहते हैं। इसको लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी। बाद में इस मुद्दे को औपनिवेशिक सरकार को लंदन की अदालत में ले जाया गया और यहां चार साल बाद इसका फैसला किया गया है। जिसके अनुसार नटनी का बारा में एक दीवार का निर्माण किया जाएगा और इस नदी का पानी दोनों राज्यों को बांटा जाएगा। इसके मुताबिक अलवर राज्य को 45 प्रतिशत पानी मिला और भरतपुर को 55 प्रतिशत पानी इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई।