Rajasthan Government: राजस्थान सहकारिता विभाग द्वारा बड़ा फैसला लिया गया है। इसके लिए राज्य में हाउसिंग व क्रेडिट सोसायटी को अलग अलग कंट्रोल किया जाएगा। साथ ही बिल में कई बदलाव किए गए हैं।
बता दें कि विभाग की ओर से हाउसिंग और क्रेडिट सोसायटी के लिए रेगुलेटरी बोर्ड का गठन करने का फैसला लिया गया है। इसके तहत अब हाउसिंग और क्रेडिट सोसायटी को अलग से नियंत्रित किया जाएगा। हाउसिंग सोसायटी बिना रजिस्टर्ड डीड के जमीनों की खरीद-बिक्री नहीं हो सकेंगी।
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साथ ही ट्रांजैक्शन कैश से नहीं किया जाएगा। सहकारिता शब्द का गलत इस्तेमाल हुआ तो जुर्माना लगेगा। इस प्रकार के दर्जनों बदलाव राजस्थान की सहकारिता में होने जा रहा हैं। आपको बता दें कि सरकार सहकारिता विभाग के लिए नया को-ऑपरेटिव कोड ला रही है।
वहीं कोई भी जानकारी व्हाट्सएप या मेल के माध्यम से दी जाएगी। पांच राज्यों में स्टडी के बाद द राजस्थान को-ऑपरेटिव सोसायटी बिल 2025 लाया जा रहा है। 24 साल बाद आ रहे नए कोऑपरेटिव कोड में 29 सेक्शन शामिल किए गए हैं।
जानें बिल से जुड़ी पूरी जानकारी
1. हाउसिंग और क्रेडिट सोसायटी को अलग से नियंत्रित किया जाएगा।
2. राज्य व केंद्र की शेयर पूंजी की अधिकतम सीमा की शर्त हटा दी गई है। पहले 25 प्रतिशत निवेश कॉपरेटिव सोसायटी में कर सकते थे, अब सरकार 100 प्रतिशत निवेश कर सकती हैं।
3. सोसायटी राज्य में कही भी आउटलेट खोल सकती है, बस वो प्रोडक्ट उस जगह से संबंधित होना चाहिए।
4. सहकारी शब्द के गलत इस्तेमाल पर 50 हजार तक के दंड का प्रावधान रखा गया है।
5. सोसायटी मेंबर नहीं बनाती, फॉर्म व एडमिशन फीस लेने से मना कर देती है तो रजिस्ट्रार को फॉर्म जमा करा सकते हैं। रजिस्ट्रार सोसायटी को फॉरवर्ड करेगा और 30 दिन के अंदर फैसला नहीं हुआ तो मेंबर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
6. सोसायटी आपस में पार्टनरशिप कर सकेंगी। गबन के मामलों में आचरण की जांच का प्रावधान था, जिसे हटा दिया गया है।
7. कोई भी जानकारी अब वॉट्सएप या ई-मेल के माध्यम से दी जा सकेगी।
8. रजिस्ट्रार को कोई भी आदेश निकालने या निर्देश देने का अधिकार इस बिल में दिया जा रहा है।