Rajasthan Road Safety : राजस्थान में लगातार बढ़ते सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए परिवहन विभाग अब बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। हादसों और मौतों के आंकड़े चिंता बढ़ा रहे हैं, ऐसे में सरकार ओडिशा के सफल रोड सेफ्टी मॉडल को प्रदेश में लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। प्रस्तावित व्यवस्था के तहत भारी वाहन चालकों को लाइसेंस मिलने से पहले 30 दिन का अनिवार्य प्रशिक्षण लेना होगा। खास बात यह है कि इस प्रशिक्षण का पूरा खर्च सरकार स्वयं वहन करेगी। अधिकारियों का मानना है कि व्यवस्थित ट्रेनिंग, आधुनिक ड्राइविंग ट्रैक और नियमों की सख्त समझ से न केवल चालकों की दक्षता बढ़ेगी, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में भी उल्लेखनीय कमी लाई जा सकेगी।
ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर में होगा प्रशिक्षण
ओडिशा मॉडल के अनुसार, हर रीजन में आधुनिक ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। जहां ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेनिंग दिया जाता है। इस दौरान ड्राइवर को सुबह शाम अभ्यास करवाया जाता है। साथ ही ट्रैफिक नियमों की भी जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण पूरा हो जाने के बाद वाहनों का लाइसेंस दिया जाता है।
लाइसेंस रिन्यूवल पर भी सख्ती, तीन दिन की ट्रेनिंग अनिवार्य
लाइसेंस रिन्यूवल करने के लिए चालकों को 3 दिन का प्रशिक्षण देना अनिवार्य है। ओडिशा में इस प्रक्रिया पर सरकार प्रति आवेदक करीब पांच हजार रुपये खर्च करती है। जिसे सरकार को हर साल करोड़ों रुपए का खर्च उठाना पड़ता है।
राजस्थान में मौजूदा व्यवस्था पर उठे सवाल
अगर राजस्थान की बात करें तो राजस्थान में लाइसेंस रिन्यूअल पर किसी भी तरीके की ट्रेनिंग अनिवार्य नहीं है। कई जगह तो ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक तक उपलब्ध नहीं है। आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में सड़क हादसों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। एसएमएस सरकार अगर उड़ीसा मॉडल को लागू करती है तो सड़क हादसों में कमी आएगी।
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