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Ramgarh Dam Artificial Rain :कृत्रिम बरसात क्लाउड सीडिंग तकनीक का कमाल होगी। इसमें ड्रोन के जरिए बादलों में सोडियम क्लोराइड, सिल्वर आयोडाइड जैसे रसायन का छिड़काव किया जाता है।

Ramgarh Dam Artificial Rain : राजस्थान की राजधानी जयपुर आज़ एक अनोखी घटना का गवाह ही नहीं मिसाल भी बनेगा। जयपुर शहर के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। दरअसल यहां स्थित रामगढ़ बांध पिछले बीस से भी अधिक वर्षों से सूखे की चपेट में आने से निर्जीव अवस्था में है। पर आज यहां एक ऐतिहासिक प्रयोग किया जाएगा जो यह प्रयोग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में ध्यान आकर्षित कर रहा है। अमेरिका और बेंगलुरु की कंपनी GenX AI के संयुक्त प्रयास से ड्रोन के माध्यम से पहली बार रामगढ़ बांध पर कृत्रिम वर्षा की जाएगी। आपको बता दें कि उपरोक्त प्रयोग मौसम,बादलों और बिजली की चमक पर निर्भर नहीं है। इसे पूरी तरह से तकनीकी चमत्कार कहा जाएगा और इसे देखने के लिए लोग दूर दराज से जयपुर आ रहे हैं। 

क्लाउड सीडिंग तकनीक पर आधारित प्रयोग

कृत्रिम बरसात क्लाउड सीडिंग तकनीक का कमाल होगी। इसमें ड्रोन के जरिए बादलों में सोडियम क्लोराइड, सिल्वर आयोडाइड जैसे रसायन का छिड़काव किया जाता है। ये विशेष प्रकार के रसायन बादलों में नमी को आकर्षित करते हैं और पानी की बूंदे बड़ी होकर बारिश के रूप में तब्दील हो जाती हैं। इसके पहले देश में कृत्रिम बारिश हवाई जहाज के जरिए कराई जाती थी। आज़ पहली बार जयपुर में ड्रोन के जरिए इस काम को अंजाम दिया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत रामगढ़ बांध के ऊपर 60 ड्रोन उड़ान भरेंगे जो बादलों कीक्षओर निशाना बनाकर रसायन का छिड़काव करेंगे।

खास पहल की गई

1903 में बनाया गया रामगढ़ बांध एक समय पूरे जयपुर की जल आपूर्ति का प्रमुख जरिया था। पर 1981 के बाद से ये बांध लगगग सूख गया है। इस समय राज्य में जल संकट से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम हो रहा है। ऐसे में क्लाउड सीडिंग जयपुर वालों के लिए आशा की किरण है। इस तकनीक के सफल होने पर राज्य के दूसरे बांधों जैसे मानसागर बांध, कनोटा बांध व कालख बांध पर भी क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक से पानी की समस्या से राहत मिलेगी साथ ही कृषि के लिए भी बहुत उपयोगी साबित होगा।

तकनीकी प्रक्रिया

राजस्थान कृषि विभाग और GenX AI की साझेदारी से यह योजना बनाई गई है, जिसमें AI तकनीक से लैस ड्रोन बादलों की नमी, मौसम की जानकारी और चुने हुए क्षेत्रों की बारीकी से निगरानी करते हैं।  ये ड्रोन 400 मीटर तक ऊँचाई पर उड़ान भर सकते हैं और चुने हुए इलाके में प्रभावी तरीके से बारिश करवाने में सक्षम हैं। इस संबंध में कृषि विभाग, मौसम विभाग , जिला प्रशासन और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से जुलाई में ही सहमति लीजा चुकी है।

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