Agricultural Commodities: कृषि उपज मंडी से प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक कृषि बाजार में बदलते हालातों के बीच भविष्य में सरसों की कीमतों में तेजी आने की काफी ज्यादा संभावना है। इसका कारण है आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में हो रही तेजी। क्योंकि घरेलू विकल्प के रूप में सरसों के तेल की मांग बढ़ रही है इसी वजह से उसके दामों में भी उछाल देखने को मिलेगा।
बढ़ती मांग का असर पड़ेगा कीमतों पर
बाजार विश्लेषकों के मुताबिक जैसे-जैसे आयातित तेल महंगा होता जाएगा लोग सरसों के तेल की ओर रुख करेंगे। इस बदलाव की वजह से कीमतों में तेजी आने की उम्मीद है। आपको बता दें कि फिलहाल भाव 6000 से 6600 के बीच चल रहा है। व्यापारियों को ऐसी उम्मीद है की मांग बढ़ने पर कीमतों में भी तेजी आएगी।
पोल्ट्री सेक्टर से बाजरे की मांग में भी तेजी
पंजाब और हरियाणा के पोल्ट्री फार्म से बाजरे की मांग काफी ज्यादा बढ़ रही है। इसी वजह से इसकी कीमतों में भी तेजी आने की संभावना है। दरअसल ये फार्म पशु आहार के रूप में बाजरे पर निर्भर हो रहे हैं और यही कारण है कि कीमतों में तेजी आ रही है।
चना, गेहूं जौ और ज्वार में रहेगी स्थिरता
इस वक्त सरसों और बाजरे की कीमतों में तेजी आ रही है लेकिन चने की कीमत स्थिर ही रहने की उम्मीद है। इसी के साथ चने की उपलब्धता भी मांग के अनुरूप ही है जिससे कीमत संतुलित है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है की बाजार की मांग के आधार पर उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
आने वाले वक्त में सरसों और बाजरा बाजारों में गतिविधि बढ़ सकती है। सभी व्यापारिक तेल आयात और पोल्ट्री क्षेत्र की मांग पर नजर गड़ाए हुए हैं।
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