Monsoon Crop Protection Tips : किसानों को मानसून का इंतजार बहुत बेसब्री से रहता है क्योंकि फसलों को पर्याप्त पानी की जरूरत होती है। लेकिन जब बरसात अपना विकराल रूप धारण कर लेती है तो किसानों की परेशानियां बढ़ जाती हैं। कारण ये है कि अत्यधिक जल भराव से फसलें खराब हो जाती हैं और किसानों के पास बचाव का कोई रास्ता नहीं रहता। इस समय राजस्थान में मूसलाधार बारिश के चलते किसानों के मन में डर समा गया है। अपनी फसलों को बचाने की फिक्र उनके चेहरे पर देखी जा सकती है। ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने किसानों के लिए कुछ आधुनिक तरीकों से युक्त सुझाव दिए हैं जिसे अमल में लाकर फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है।
मल्चिंग, एक असरदार तरीका
अपनी फसलों को जलभराव से बचाने के लिए मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल बहुत कारगर साबित होता है। इसे अपनाने से मिट्टी का बहाव कम होता है साथ ही नमी भी बनी रहती है। इसके लिए मिट्टी में भूसे, घास और सूखे पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तकनीक से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है तथा फसलों को कीटाणुओं से बचाती है।
पौधे के बीच पर्याप्त दूरी आवश्यक
खेत में यदि पौधों के बीच सही अनुपात में दूरी रहती है तो हवा ठीक से प्रवाहित होती है और बारिश से नुकसान का खतरा भी नहीं रहता। प्रत्येक पौधे के बीच यदि 2 फीट की दूरी रहेगी तो हवा भी ठीक से पास होगी और नमी भी बनी रहेगी। पौधों को मजबूती मिलेगी व सड़न और कीटाणुओं से रक्षा होगी।
कीट और फफूंद पर नियंत्रण जरूरी
बारिश के मौसम में वातावरण में नमी अधिक हो जाती है, जिससे फसलों पर कीटों और फफूंद जनित रोगों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि वे अपने खेतों की नियमित निगरानी करें और फसल में किसी भी तरह के पत्तों पर धब्बे, सड़न, या कीड़ों की गतिविधि को नजरअंदाज न करें। जैसे ही बीमारी के लक्षण दिखें, तुरंत जैविक या अनुमोदित रासायनिक दवाओं का छिड़काव करें।
यह भी पढ़ें...New Mustard Varieties: भरतपुर की सरसों का देशभर में डंका, नई किस्मों को मिली नेशनल मंजूरी