rajasthanone Logo
Bikaner Flower Sharbat: आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं बीकानेर की एक ऐसी दुकान के बारे में जहां का शरबत पूरे राज्य भर में मशहूर है। आईए जानते हैं।

Bikaner Flower Sharbat: राजस्थान में गर्मी हर बार की तरह कहर ढा रही है। इसी बीच बीकानेर की एक दुकान लोगों को ठंडा-ठंडा शर्बत पिलाकर उनकी प्यास बुझाने का काम कर रही है। हम बात कर रहे हैं चुन्नीलाल तंवर शरबत वाले की। आईए जानते हैं क्या है इस दुकान की खास बात। 

परंपरा और स्वाद का अनोखा मिश्रण 

यह दुकान 1939 में स्थापित हुई थी। ओल्ड जेल रोड पर स्थित पीले शटर की है छोटी सी दुकान लोगों को बहुत आकर्षित करती है। इस दुकान की खास बात यह है कि यहां हाथ से बने हर्बल और फूलों के शर्बत परोसे जाते हैं। यह शरबत कस्टम ब्रांडेड कुल्हड़ में परोसे जाते हैं। शर्बत को सबसे पहले चांदी के गिलास में डाला जाता है और उसके बाद उसे कुल्हड़ में डालकर आपको परोसा जाता है।

दादी की रेसिपी से हुई शुरुआत 

इस दुकान की कहानी भारत के आजादी से भी पहले की है। वर्तमान मालिक विधान सिंह तंवर बताते हैं कि उनकी दादी को आयुर्वैदिक ज्ञान बहुत ज्यादा था। इसी वजह से उन्होंने घर पर ही हर्बल शर्बत बनाना शुरू किया। जब दादा का निधन हुआ तो दादी ने परिवार का पोषण करने के लिए इस पेय को बेचना शुरू किया। कुछ वक्त बाद उन्होंने अपने बेटे के नाम पर यह दुकान खोली।  धीरे-धीरे उनके शर्बत विशेष रूप से केवड़ा इतने ज्यादा लोकप्रिय हो गए कि वक्त के साथ-साथ उनकी मांग बढ़ती चली गई।

15 से ज्यादा शर्बत 

यहां पर 15 से भी ज्यादा तरह के शर्बत बनाए जाते हैं जिनमें मसाले फूल और सूखे मेवे का इस्तेमाल होता है।  मसाले वाले शर्बत में आपको सौंफ, लौंग, इलायची और धनिया के शरबत चखने को मिलेंगे। फूल वाले शर्बत में आपको केसर, गुलाब, चमेली, पंजीरी, केवड़ा के शर्बत चखने को मिलेंगे। 

यह शर्बत आज भी महिलाओं की निगरानी में ही बनाया जाता है। पहले विधान सिंह की दादी फिर उनकी मां और अब उनकी बहुएं इस परंपरा को निभा रही है। सबसे खास बात यह है कि कोई भी शर्बत पहले से बनाकर नहीं रखा जाता। सब कुछ ताजा ऑर्डर पर ही बनाया जाता है। 

युद्ध के समय की मिठास की विरासत 

इस दुकान से एक कहानी और जुड़ी हुई है। दरअसल 1971 के युद्ध के दौरान भी यह दुकान रात के एक बजे तक खुली रहती थी। ब्लैकआउट की स्थिति में भी लोग यहां पर शर्बत पीने के लिए चुपके से बाहर आते थे।

और पढ़ें..Sangri : राजस्थान की इस देशी सब्जी के आगे फीकी है काजू - बादाम की सब्जी, गर्मियों के लिए है वरदान

5379487