Agriculture News : भरतपुर जिले का नावली गांव अब पूरे क्षेत्र में अपनी अनोखी खेती के लिए मिसाल बन गया है। जहां पहले किसान परंपरागत रूप से गेहूं और बाजरे जैसी फसलें उगाते थे, वहीं अब उन्होंने तुलसी की खेती अपनाकर अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा लिया है। कम लागत, कम पानी और सीमित खाद की जरूरत वाली यह फसल किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। धार्मिक महत्व और लगातार बढ़ती मांग के चलते तुलसी ने गांव में रोजगार को भी बढ़ाया है। अब नावली गांव को प्रदेश में तुलसी खेती का केंद्र कहा जाने लगा है। जहां किसान न केवल आत्मनिर्भर बने हैं। बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं।

किसानों की हो रही है दुगोनी आमदनी

पहले जहां किसान अपने खेत में गेहूं और बाजरे की पैदावार करते थे। लेकिन अब यह किसान इससे अलग हटकर तुलसी की पैदावार कर रहे हैं जिससे इनकी आमदनी भी दोगुनी हो रही है। इस फसल को लगाने में भी लागत कम आती है और मुनाफा दो गुना होता है। 

मथुरा-वृंदावन तक पहुंची नावली की तुलसी

भरतपुर जिले के नवली गांव में उगाई जाने वाली इस तुलसी की मांग राजस्थान के अलावा मथुरा,वृंदावन, गोवर्धन अन्य धार्मिक स्थलों पर इसकी मांग की जा रही है। धार्मिक स्थलों पर इस तुलसी का उपयोग पूजा सामग्री और तुलसी माला बनाने में उपयोग किया जाता है। 

3 महीने में तैयार होती तुलसी की फसल

तुलसी की फसल को तैयार होने में लगभग 3 से 4 महीने का वक्त लगता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि तुलसी को एक बार बोने के बाद इसकी पत्तियों को कई बार तोड़ा जा सकता है। इसी कारण से इसकी खेती करने वाले किसानों को लगातार आमदनी होती है। पर्यावरण संरक्षण में भी तुलसी बेहद महत्वपूर्ण है। तुलसी लगातार 24 घंटे ऑक्सीजन देने का भी काम करती है।

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