Jodhpuri Kabuli Dish: आप सभी ने बिरयानी तो जरूर खाई होगी। लेकिन आज हम आपको जोधपुर की एक ऐसी डिश के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको खाकर आप बिरयानी का स्वाद भी भूल जाएंगे। इस व्यंजन का नाम है जोधपुरी काबुली। तो आईए जानते हैं क्या है इस व्यंजन का इतिहास।
कैसे हुई उत्पत्ति
काबुली की उत्पत्ति 17वीं-18वीं शताब्दी में हुई थी। दरअसल काबुल और अफगानिस्तान के व्यापारी काजू, बादाम, किशमिश और चिरौंजी जैसे सूखे मेवे लेकर राजस्थान आए थे। इस समय मारवाड़ के शाही रसोईए खाने में काफी प्रयोग कर रहे थे। काबुली बिरयानी से प्रेरित होकर उन्होंने स्थानीय सामग्री और काबुल के सूखे मेवों को मिलाकर एक शाकाहारी व्यंजन बनाया।
जोधपुरी काबुली कम समय में ही शाही दावतों का हिस्सा बन गई।
कैसे बनाई जाती है जोधपुरी काबुली
इस व्यंजन को बनाने के लिए सबसे पहले देसी घी को गर्म किया जाता है। इसके बाद दूध में हल्दी, लाल मिर्च और लहसुन का तड़का लगाया जाता है। इसके बाद इस मिश्रण को धीमी आंच पर लगभग डेढ़ घंटे के लिए पकाया जाता है। इतना सब होने के बाद अब ब्रेड क्यूब्स, प्याज, गोभी और शकरकंद जैसी सब्जियों को डीप फ्राई कर ले। इसके बाद इसमें स्वाद के लिए सूखे मेवे मिलाएं।
इन सबसे अलग अब बासमती चावल को घंटों भिगोकर गरम मसाला, नमक और नींबू के रस के साथ उबाल लिया जाता है और फिर उसमें घी के साथ तड़का लगा लिया जाता है। चावल को परतों में ठीक से भाप देने के लिए हमेशा आधा ही पकाए। अब परत बनाने के लिए सबसे पहले एक भारी बर्तन के नीचे एक सब्जी की परत बिछा दें। इसके बाद चावल की एक परत बिछाए। इन परतों के बीच कुछ नरम रबड़ी और भिगोया हुआ केसर डालें। इसके बाद इसे सील करके धीमी आंच पर पका लें। आपकी काबुली बिरयानी तैयार है।
जोधपुर में है काफी प्रसिद्ध
काबुली बिरयानी जोधपुर के सभी फाइव स्टार होटल और हेरीटेज रेस्टोरेंट के मेनू का हिस्सा है। शाही अतीत होने के बावजूद भी यह व्यंजन स्थानीय परंपराओं से लिप्त है।
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