Rajasthan Art: भारत की आजादी के बाद दिल्ली के लाल किले पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वंतत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। इस तिरंगे को खादी के कपड़े से राजस्थान के दौसा जिले के गांव आलूदा में तैयार किया गया था। इसे चौथमल, शंभुदयाल, नानगराम और रेवड़मल ने तैयार किया था। जानकारी के लिए बता दें कि इस गांव से टाट साहब व देशपांडे इस कपड़े को गोविंदगढ़ ले गए थे। यहां हीरालाल शास्त्री, माणिक्य लाल वर्मा समेत अन्य स्वतंत्रता सेनानी ने इसे देश का ध्वज तिरंगे का स्वरूप दिया था। 

आज भी अपने बुनकरों के लिए जाना जाता है गांव 

आज भी राजस्थान का यह गांव अपने बुनकरों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। हालांकि खादी कपड़े की डिमांड कम होने से कई लोगों ने इस कार्य को छोड़ दिया हैं, लेकिन आज भी कई कारीगर अपनी कला से खादी के कपड़े तैयार करते हैं। 

स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज

राजस्थान के आलूदा गांव में स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया गया था, उस समय गांव के लगभग 200 से ज्यादा परिवार इसे तैयार करते थे, लेकिन आज इस गांव में केवल कुछ ही लोग खादी का कार्य करते हैं। गांव के अधिकतर लोग दिल्ली और दूसरे शहरों में चले गए हैं। 

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खादी के कपड़े के लिए प्रसिद्ध है जिला 

भले ही आलूदा गांव में आज खादी का कार्य कम हो गया है, लेकिन दौसा जिले की अन्य जगहों पर आज भी बड़े पैमाने पर यह कार्य किया जाता है। साल 1967 में जिले में खादी के कपड़े बनाने का कार्य शुरू किया गया था। यह जिला ना केवल देश में बल्कि विदेश में भी खादी के कपड़े के लिए जाना जाता है। 

तिरंगा बनाने के लिए नियम 

एक समय था, तिरंगा बनाने के लिए कई नियम हुआ करते थे, जैसे केवल खादी के कपड़े से बने राष्ट्रीय ध्वज को ही फहराने की अनुमति होती थी। केवल खास मौकों पर ही तिरंगे को फहराया जाता था। लेकिन बाद में भारतीय ध्वज संहिता में परिवर्तन किए गए।