Bikaner Brass Gangaur : राजस्थान का नाम अपनी पारंपरिक कला और रिवाज के लिए इतिहास में दर्ज है। बीकानेर की गणगौर समूचे विश्व में फेमस है। साल भर यहां गणगौर की मूर्तियां बनाई जाती हैं। लोग कई महीने पहले अपने आर्डर का एडवांस कर देते हैं। यहां तैयार की गई मूर्तियां विदेशों में भी निर्यात की जाती हैं। अमूमन गणगौर की मूर्ति लकड़ी की बनाई जाती है। पर बीकानेर में पहली बार पीतल की बेहद खूबसूरत गणगौर मूर्ति बनाई गई है। आइए जानते हैं इस विषय में पूरी जानकारी -
बीकानेर में बनी पीतल की गणगौर
बीकानेर में पहली बार पीतल की गणगौर मूर्ति बनाई गई है। इस विषय में गौरांग कलाकार अशोक सुधार ने बताया कि इस अनोखी मूर्ति को बनाने में लगभग साढ़े छह किलो पीतल की खपत हुई है। मूर्ति को पूरा करने में दो महीने का समय लगा है। मूर्ति इतनी खूबसूरत है कि इसे देखकर लगता है कि कोई जीती जागती महिला ही है। इस मूर्ति की खासियत ये है कि इसमें पीतल के टुकड़े को एक ही बार में आकार देकर बनाया गया है। इसे देखने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं।
कीमत, 90 से 95 हजार रुपए
गौरांग कलाकार श्री अशोक ने बताया कि लगभग डेढ़-दो माह में तैयार इस मूर्ति की पहले ढलाई की जाती है, उसके बाद पूरे शरीर की फिनिशिंग करने के बाद चेहरे को आकार दिया जाता है। दो लोगों के साझा श्रम से बनी इस मूर्ति का मूल्य लगभग 90 से 95 हजार रुपए है।
एकदम जीती जागती गणगौर
इस बेशकीमती मूर्ति की विशेषता ये है कि इसके हाथ फोल्डिंग वाले हैं ताकि इन्हें मोड़कर मनमाफिक गहने पहनाया जा सके। पीतल की मूर्ति होने के कारण इसे स्नान भी कराया जा सकता है। भक्तजन अपनी श्रद्धा अनुसार नियमित अभिषेक भी कर सकते हैं। सिर से पांव तक सजीव इस मूर्ति की खूबसूरती देखते ही बनती है।
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