Ayushman Health Scheme: कोई भी योजना बना देना आसान होता है, लेकिन उसे सही तरीके से लागू करना, ताकि लाभार्थी उसके लाभ ले सके, यह उतना ही मुश्किल होता है। जोधपुर से एक ऐसा ही मामला सामने आ रहा है, आयुष्मान आरोग्य योजना का लाभ उठाने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि इस प्रक्रिया ने 50 बच्चों की जिंदगी को दांव पर लगा रखा है।

इलाज के लिए 100 दिनों का इंतजार

राजस्थान में जारी मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित 50 से अधिक बच्चे एमडीएमएच की शिशु कार्डियक काट लेब में ऑपरेशन के लिए इंतजार कर रहे हैं। इस जटिल प्रक्रिया के कारण इन बच्चों को 100 दिन से भी अधिक का इंतजार करना पड़ रहा है। गौर करने वाली बात है कि 50 बच्चों के दिल में छेद हैं, जिनमें से कई ऐसे बच्चे हैं, जिनका ऑपरेशन जल्द से जल्द होना चाहिए। बावजूद इसके जटिल प्रक्रिया के कारण इन बच्चों का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है और ये बच्चे महज दवाई पर जीवित हैं।

जटिल प्रक्रिया के कारण देरी

ऐसे में सवाल यही उठता है कि भला ऐसी सरकारी योजना का क्या लाभ, जिसकी प्रक्रिया इतनी जटिल हो कि लाभार्थी अगर उसका लाभ ही नहीं उठा सके। इस योजना के तहत लाभ लेने के लिए कुछ डॉक्यूमेंट जरूरी होते हैं, जिनमें एक तो नवजात का आधार कार्ड चाहिए होता है, लेकिन अब आप ही सोचिए जिस बच्चे का जन्म हाल ही में हुआ हो, भला तुरंत उनका आधार कार्ड कहां से आएगा।

आधार कार्ड बनने में भी कम से कम 10 दोनों का वक्त लग जाता है। इसके अलावा कई ऐसे केसे देखने को मिले हैं, जिसमें मां का नाम पीहर के 'मां कार्ड' में है, ऐसे में इन परिजनों को महिला मुखिया के नाम से नया कार्ड बनाना पड़ेगा और इस कार्ड को बनाने में 90 दोनों का वक्त लग जाता है।

'बर्थ सर्टिफिकेट के आधार पर हो इलाज'

भला आप ही सोचिए अगर किसी बच्चे का आज जन्म हुआ और उन्हें मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत इलाज करना है तो सबसे पहले उन्हें 100 दिनों की जटिल प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसमें भी कोई गारंटी नहीं है कि 100 दिनों में यह डॉक्यूमेंट तैयार हो जाएंगे। जोधपुर के बालोतरा से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें एक मजदूर व्यक्ति अपने बच्चे का ऑपरेशन नहीं करा पा रहा है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक युद्धवीर सिंह ने कहा कि औपचारिकताओं में खराब होने वाले समय को बचाने के लिए ऐसी योजना बनानी चाहिए कि बच्चों का इलाज माता-पिता के पहचान पत्र के आधार पर या फिर बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट के आधार पर किया जा सके।

ये भी पढ़ें:- JLN अस्पताल में जलभराव: पानी निकालने के लिए लगाई गई मशीनें, वार्ड में भी भरा पानी