Rajasthani Marriage Customs: आज लोग आधुनिकता के दौड़ में अपनी संस्कृति को भूल गए है, वेस्टर्न कल्चर को अपनाने की होड़ में इस मोड़ पर आ खड़े हुए है कि उन्होंने अपने अनोखे रीति-रिवाज को खो दिया है। वहीं कोटा गांव के लोग आज भी अपनी सालों पुरानी परंपराओं को निभाते हुए आ रहे हैं।
राजस्थान के कोटा जिले से कुछ दूरी पर आमली झाड़ गांव स्थित है, जहां की एक अनोखी परंपरा है। आपने सुना होगा की यदि किसी की कुडंली में मांगलिक दोष होता है, तो इससे दूर करने के लिए लड़के या लड़की की शादी के किसी पेड़ के साथ करवायी जाती है। लेकिन कोटा के इस गांव में बड़ और पीपल के पेड़ की आपस में शादी करवायी जाती हैं।
लड़के-लड़की नही बल्कि पेड़-पेड़ की शादी
जिस प्रकार एक सामान्य शादी में दूल्हा और दुल्हन होते है उसी तरह इस शादी में भी दुल्हन के रूप में पीपल और दूल्हे के रूप में बड़ के पेड़ को माना जाता है। राजस्थान के आमली झाड़ गांव में पेड़ो की शादी आपस में करवायी जाती है, इनकी शादी को यहां के ग्रामीण लोगो द्वारा बड़े धूमधाम से ढोल-नगाड़ों के साथ किया जाता है, इन पेड़ों की शादी को इस गांव के लोग पूरे विधि विधान के साथ करते हैं।
पेड़ की शादी को लेकर मान्यता
इस गांव में महिलाओं द्वारा लोक गीत गाते हुए फेरे करवाए जाते है, इस परंपरा को निभाए जाने के पीछे ये मान्यता है की हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को शुभ माना जाता है। जिस वजह से उसकी पूजा की जाती है और इस गांव में मानते है कि शादी करवाने से वो पेड़ पवित्र हो जाता है, जिसके बाद इसमें जल अर्पित कर जो भी मनोकामना मागंते है वो पूरी हो जाती हैं।
ग्रामीण लोग बनते है बाराती
इस गांव में इन पेड़ो की शादी में भोजन का आयोजन भी किया जाता है, इस शादी में दूल्हा और दुल्हन के पक्ष की तरफ से ग्रामीण लोग भी शामिल होते है। उन लोगों के द्वारा ही दुल्हन पक्ष के घर बारात लेकर जाते हैं।
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