Rajasthan Tradition: राजस्थान एक विस्तृत संस्कृति वाला राज्य है, यहां के हर अवसर को अपने रिवाजों के आधार पर निभाया जाता है। जिसमें सभी त्योहार, अवसर और मांगलिक कार्यों को यहां अनोखी परंपराओं के साथ निभाया जाता हैं। इसके साथ ही यहां के लोगों में भाईचारे की भावना के कारण सभी एक साथ मिलकर सालों पुरानी परंपराओं को एकता के साथ निभाते हुए आ रहे हैं।

नोतरे के दिन गांव के सभी लोग भोजन के लिए शादी वाले घर में जाते हैं, उसके बाद लोग जिन गांव में एक  एक करके सभी लोग आते हैं और तिलक लगवाकर अपने समर्थता के आधार पर आर्थिक सहयोग देते हैं।

सहयोग की अनोखी प्रथा 

वर्तमान में जहां आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था में लोन के लिए दस्तावेज, गारंटी और ब्याज जैसे कई नियमों से लम्बे समय तक फंसाए रखते हैं, लेकिन दक्षिण राजस्थान इलाको में सहयोग को लेकर एक ऐसी परंपरा है, जिसमें लोग बिना किसी दस्तावेजों और बिना किसी ब्याज के लोग आर्थिक सहायता प्रदान करते है। 

इस प्रथा का नाम नोतरा है, राजस्थान में नोतरा का मतलब किसी को आमंत्रित करने को लेकर लिया जाता है। जिसमें गांव में किसी शादी होने पर आदिवासी समाज द्वारा आपस में एक  दूसरे को आर्थिक रूप से सहयोग करते हैं। ये परंपरा किसी बैंक से कम से नहीं होती है।

नोतरा का निर्धारण करते हैं पंच

इस नोतरा परंपरा में अगर किसी के घर में शादी होती है, तो घर का मुखिया गांव के पंचों को जाकर शादी के नोतरा देता हैं। इसके बाद उन पंचो के द्वारा नोतरे के लिए एक निश्चित दिन तय किया जाता है, जिससे गांव में किसी अन्य परिवार के नोतरे में कोई परेशानी ना हो। 

पंच रखते हैं नोतरे का हिसाब किताब

राजस्थान में एकता का उदाहरण देती नोतरा प्रथा है, जिसमें चाहे लोग किसी भी समुदाय से संबंध रखते हो सब समान हैं। इस नोतरा परंपरा में गांव वालों द्वारा दी गई आर्थिक सहायता का हिसाब किताब रखा जाता है। इसमें जो राशि दी जाती है, अगली बार उस राशि को अपनी क्षमता के आधार पर बढ़ाकर देते हैं।

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