Rajasthan Davariya Pratha: आपने दहेज प्रथा के बारे में सुना होगा, जिसमें लड़की वालों की तरफ से लड़के वालों के पक्ष को उपहार दिए जाते थे। यह प्रथा शुरू एक अच्छी भावना से शुरू हुई थी, जिसमें लड़की के परिवार अपनी मर्जी से शादी की बधाई के रूप में गिफ्ट दिए जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे लोगों द्वारा इसे सौदा बना दिया गया, जिसमें कई नवेली दुल्हनों ने अपना जीवन त्याग दिया। इस दहेज प्रथा से संबंधित एक ऐसी परंपरा इतिहास के पन्नो में दर्ज हैं। 

क्या है दापरिया परंपरा?

राजस्थान में राजपूत समाज द्वारा दापरिया परंपरा की शुरुआत की गई थी, जिसमें राजपूत घरानों में किसी राजकुमारी का विवाह होने पर उसके साथ कुछ कुवांरीकन्याएं दी जाती थीं। जिसके बाद उन कुवारियां कन्याओं का सम्पूर्ण जीवन उस राजकुमारी की सेवा में ही समर्पित कर दिया जाता था। समाज की अन्याय की इस प्रथा का इतिहास में कई लोगों ने विरोध भी किया था, जिसके बाद इस प्रथा को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया था। 

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दापरिया परंपरा 

इस प्रथा में दहेज में भेजी जाने वाली कुवांरी कन्याओं को सेविका केरूपमें जीवन व्यतीत करना पड़ता था। इसके साथ ही आपने एक ऐसे राजपूतों के बारे में सुना होगा, जो राजपूत ही होते हैं लेकिन उन्हें वो राजपूतों का दर्जा नहीं दिया जाता था। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि जो कुवारी लड़कियां दहेज में भेजी जाती थीं, वे राजा की भी सेवा करती थीं। जिसके बाद उनके द्वारा जन्म दिए जाने वाले बच्चों को कभी पूर्ण रूप से राजपूत होने का अधिकार नहीं मिलता था, वे केवल एक मोहरा बनकर रह जाते थे।

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