Phooldol Lok Utsav: राजस्थान के बारां जिले के किशनगंज तहसील मुख्यालय पर पिछले 136 साल से एक अनोखी परंपरा चलती आ रही है। स्थानीय लोगों ने सालों से इस परंपरा को बिना किसी सरकारी सहायता के आज भी संजोए कर रखा है। इस परंपरा की शुरुआत राजस्थान में बेटियों को बचाने और बेटी की चाहत में कई गई थी।

हर साल आयोजित किया जाता है महोत्सव

हर वर्ष बारां जिले के किशनगंज क्षेत्र में फूलडोल लोकोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में उच्च अधिकारी और सरकार के मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते हैं। इस महोत्सव को प्रदेश के पर्यटन के मानचित्र में लाने के भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। इससे सालों से चलती आ रही परंपरा को नई दिशा मिल सकेगी, साथ ही लोग राजस्थान की संस्कृति के बारे में जान सकेगें।

होली के बाद बनाया जाता है पर्व

होली के बाद बनाने वाले इस पर्व का मुख्य आकर्षण होता है गिद्ध जटायु युद्ध। इसे देखने दुनियाभर से लोग आते हैं। गांव के युवाओं की ओर से आठ से दस फीट का विशाल गिद्ध तैयार किया जाता है। बांस की लकड़ी से इसका ढांचा तैयार किया जाता है। जिसके बाद ग्रामीणों की ओर से कंधे पर पूरे फूलडोल मार्ग में इसे लेकर रावण से युद्ध करते हुए निकाला जाता है।

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साथ ही रात को भगवान श्री चारभुजा नाथ की शोभा यात्रा में लोगों की ओर से काले रंग का टाट बनाया जाता है, जिसे हाथी का वास्तविक रूप देकर आकर्षक बनाया जाता है। कई प्रकार की धार्मिक झांकियों की शोभा यात्रा निकाली जाती हैं और लंबी रस्सी के माध्यम से उसे खींचा जाता है।

ससुराल पहुंचती है चारभुजा नाथ जी की शोभा यात्रा

शोभायात्रा के दौरान पूरे रास्ते पर लोग चार भुजा नाथ की आरती उतारते है और हाथी पर बैठे महंत को गुलाल लगाकर होली खेलते हैं। पूरी रात शोभा यात्रा निकाली जाती है और सुबह विशाल हाथी पर विराजमान भगवान चारभुजा नाथ अपने ससुराल पहुंचते है और इसके बाद होली के गीत फाग व रसिया गाए जाते है।