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Nirmala Shekhawat: एक मां ही होती है, जो बच्चे की शकल देखकर उसके दुख को समझ जाती है। जानिए एक ऐसी ही निर्मला शेखावत के बारे में, जो सीकर में नेत्रहीन विद्यार्थियों को शिक्षा दे रही हैं।

Mother's Day 2025: राजस्थान के शेखावाटी के नेत्रहीन विद्यार्थियों के जीवन को रोशनी देने के लिए सीकर की निवासी निर्मला शेखावत (ज्योति संस्थान निदेशक) लगातार प्रयास कर रही हैं। निर्मला पिछ्ले 10 सालों से नेत्रहीनों के लिए कार्य कर रही हैं। शेखावाटी के नेत्रहीनों का कहना है कि एक मां किसी भगवान से कम नहीं होती और दुनिया में एक मां ही होती है, जो हमारे दुखों को चेहरे से ही पहचान लेती है। भले ही मां के प्यार को देखा नहीं जा सकता, लेकिन महसूस तो जरूर किया जा सकता है।

लोगों का कहना है कि निर्मला अब तक 100 से ज्यादा नेत्रहीन विद्यार्थियों को शिक्षा की रोशनी दे चुकी हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि निर्मला शेखावत उनकी मां से कम नहीं है और वें उनके साथ मां की तरह जुड़ाव महसुर करते हैं। 

सरकार से नहीं मिलता कोई सहयोग

 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से संस्थान को किसी भी प्रकार का कोई अनुदान नहीं दिया जाता है। इसलिए परिवार के सदस्य और संस्थान के लोग मिलकर ही संस्थान की आर्थिक जरुरते पूरी करते हैं। जानकारी के अनुसार पिछले दिनों में भामाशाह ने हर्ष इलाके में संस्थान को लगभग 650 वर्ग गज जमीन दान में दी थी। इससे पहले संस्थान किराए के घरों में संचालित होता था। निर्मला शेखावत बताती हैं कि उनके संघर्ष की इस यात्रा में बजरंग सिंह शेखावत (पति) ओर अजय सिंह (बेटा) ने उनका बहुत साथ दिया है। 

निर्मला शेखावत के संघर्ष की कहानी

निर्मला बताती हैं कि बेटी आशा शेखावत और रिंकू शेखावत के नेत्रहीन होने पर उनकी पढ़ाई के लिए उन्होंने कईं स्कूलों में जाकर पता किया, लेकिन उन्हें कहीं भी ब्रेल लिपि में शिक्षा देने वाले शिक्षक नहीं मिले। इसके बाद उन्हें बेटियों को लेकर दिल्ली आना पड़ा और दिल्ली में ही उनके साथ रहकर उनकी पढ़ाई पूरी करवाई। इसके बाद उनके मन में आया कि उन्हें दूसरे विद्यार्थियों कि मदद के लिए आगे आना होगा। 

इसके लिए उन्होंने 2016 में पांच नेत्रहीन विद्यार्थियों को लेकर एक संस्थान शुरू किया और अभी संस्थान में 35 नेत्रहीन विद्यार्थी अध्यनरत हैं। अभी निर्मला शेखावत की दोनों नेत्रहीन बेटियां बैंक में अपनी सेवा दे रही हैं।

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