Rajasthan Tradition: जीव जंतुओं की रक्षा और मानव कल्याण के लिए सदियों पहले जसनाथी सम्प्रदाय की शुरुआत की गई थी। इस समुदाय के लोगों द्वारा आज भी सदियों से नर्तकी धधकते अंगारों पर सारी रात डांस किया जाता है। इन अंगारों पर लोग इस तरह चलते हैं जैसे फूलों पर चल रहे हो। इतना ही नहीं इन अंगारों को हाथों में रखते और मुंह में अंगारा भर कर उसकी फुहार छोड़ते हैं। अपनी पुरातन छाप को सुरक्षित करने के लिए आज भी समुदाय के लोगों द्वारा कठिन साधना की जा रही है। 

पूरी रात गाए जाते हैं विभिन्न राग 

अग्नि नृत्य करने से पहले पूरे स्थल पर बड़े-बड़े लकड़े करीने लगाए जाते हैं। इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ हवन विधि शुरू की जाती है, हवन की ज्वाला उठने के साथ ही लोग चारों तरफ अपनी जगह बना लेते हैं। उन्हीं के सामने गायक और कीर्तनकार जसनाथी की मूर्ति के सामने ऊंचे तख्तों पर बैठकर पूरी रात विभिन्न रागों गाना गाते हैं।

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लकड़ी के धूणे व उनकी सीमा में किसी और को आने की अनुमति नहीं दी जाती है। इसके बाद धधकती आग पर जसनाथी सम्प्रदाय के लोग डांस करना शुरू करते हैं। इस दौरान अंगारों को अपने मुंह में रखकर उसकी फुहार छोड़ते हैं। पूरी रात चलने वाले इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। 

सालाना होता है अग्नि नृत्य 

जसनाथी सम्प्रदाय में पांचला सिद्धा समेत 12 धाम व 84 सिद्ध बाड़ियां है। यहां हर साल अग्नि नृत्य किया जाता है। रात का जागरण के 4 प्रमुख अंग होते हैं, जिसमें सबसे पहले हवन होता है, इसके बाद ज्योति-आरती की जाती है, इसके बाद गायन वादन का कार्यक्रम किया जाता है और अंत में अग्नि नृत्य पेश किया जाता है। यह जागरण आश्विन, माघ और चैत्र शुक्ल सप्तमी की खास तिथियों को आयोजित किया जाता है।