Akshay Tritiya 2025 Rajasthan: अक्षय तृतीया के दिन सनातन धर्म में शादी, मुंडन जैसे शुभ कार्य किए जाते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में करीब 18 गांव ऐसे हैं, जहां इस दिन कोई मंगल कार्य नहीं बल्कि शोक मनाया जाता है। यही नहीं कहा जाता है कि यहां ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। आइए जानते हैं इसका कारण...
इस साल कब है अक्षय तृतीया? 
राजस्थान की इस परंपरा को जानने के पहले आपको बता दें अक्षय तृतीया वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल शास्त्रों के अनुसार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। इसी दिन से चारधाम की यात्रा भी शुरू होती है।
शादी से जुड़ी हुई है परंपरा
जानकारों की माने तो जानकारों की माने तो साल 1319 के अक्षय तृतीया की तिथि को सवाई माधोपुर के चौथ बरवाड़ा क्षेत्र में 84 लोगों की शादी हुई थी। अक्षय तृतीया के मौके पर सभी नवदंपति चौथ माता का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। उन दिनों दुल्हन को पूर्ण घूंघट डालना होता था, जिसकी वजह से दुल्हन एक दूसरे के दूल्हे के साथ चली गई। इससे आपस में ही विवाद हो गया है।
दूसरे राजा ने कर दिया आक्रमण
इसी विवाद के दौरान चाकसू की ओर से राजा मेघसिंह गौड़ ने आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में सभी 84 नव दंपतियों की मौत हो गई। जिससे दुखी होकर तात्कालिक राजा मेलक देव चौहान ने अक्षय तृतीया के दिन शोक मनाने का ऐलान कर दिया। तब से लेकर आज तक इन 18 गांव में अक्षय तृतीया के दिन शोक मनाते हैं। 

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सभी नव दंपतियों की होती है पूजा
जानकारों की माने तो जानकारों की माने तो अच्छे तृतीया के पहले ही चौथ माता के मंदिर में लगे घंटे को भी ऊपर कर दिया जाता है ताकि कोई गलती से भी इसे बजा न दे। इसी मंदिर में सभी मारे गए 84 दुल्हा दुल्हन के चबूतरे बने हुए हैं। जहां समाज के लोग आकर पूजा करते हैं।