Rajasthan 5 Famous Shiv Temples: भगवान शिव का सबसे प्रिय माह सावन इस साल 11 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। माना जाता है कि सावन में भगवान शिव अपने भक्तों पर असीम कृपा करते हैं। इस दौरान भक्त भगवान के प्राचीन मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको राजस्थान के 5 प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में बताएंगे।
1. अचलेश्वर महादेव मंदिर
राजस्थान के धौलपुर में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में से एक है। माना जाता है यहां भगवान साक्षात दर्शन देते है। यहां की खास बात यह है कि मंदिर में भगवान के अंगूठे की पूजा की जाती है। शिवरात्रि और सावन माह में भक्तों की भारी भीड़ भगवान के दर्शन के लिए हर साल यहां पहुंचती है। इस मंदिर में महादेव की शिवलिंग का रंग तीन बार बदलता है।
2. शिवाड़ के घुश्मेश्वर महादेव
सवाई माधोपुर जिले में मौजूद प्रसिद्ध घुश्मेश्वर महादेव मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। सावन के महीने में भक्तों द्वारा हर हर महादेव व जय घुश्मेश्वर नाथ का जयकारा लगाया जाता है। इस मंदिर का इतिहास दो बहनों सुदेहा और घुश्मा से जुड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक महमूद गजनवी और अलाउद्दीन खिलजी ने भी इस मंदिर पर आक्रमण करने का प्रयास किया था।
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3. झारखंड महादेव मंदिर
राजस्थानी जयपुर में स्थित झारखंड महादेव मंदिर देश के ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। वैशाली नगर के पास मौजूद इस मंदिर के आस पास पहले काफी झाड़ियां हुआ करती थी, जिसके कारण इस मंदिर को झारखंड महादेव मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है। बता दें कि साल 1918 तक यह काफी छोटा हुआ करता था, भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसका पुन: निर्माण किया गया। माना जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है।
4. सारणेश्वर महादेव मंदिर
सारणेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है। शिवरात्रि और सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर ने अलाउद्दीन खिलजी को भी पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। पौराणिक कथा के अनुसार खिलजी के शरीर का रोग इसी मंदिर के पीछे की बावड़ी के पानी से ठीक हुआ था। माना जाता है कि इस बावड़ी के पानी से हर प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
5. जालंधर नाथ महादेव मंदिर
जलंधरनाथ महादेव को सोमनाथ में स्थित भगवान शिव की शिवलिंग के अंश के रूप में पूजा जाता है। जालोर में स्थित इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में राजा कान्हड़देव सोनगरा चौहान ने कराया था। मंदिर में शिवलिंग के साथ साथ माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय भगवान की भी पूजा की जाती है।