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Bhadrapad Purnima: वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णििमा मनाया जाता है। तो आइए भाद्रपद पूर्णिमा की शुभ तिथि और मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Bhadrapad Purnima: भाद्रपद पूर्णिमा भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होती है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लोग सुबह व्रत रखकर भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं। इससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

भाद्रपद पूर्णिमा पर प्रदोष काल में लोग धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इससे व्यक्ति की दरिद्रता दूर होती है और वह धनवान बनता है। रात में जब चंद्रमा उदय होता है, तो लोग उसे अर्घ्य देकर उसकी पूजा करते हैं, इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है। वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

भाद्रपद पूर्णिमा कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा रविवार, 7 सितंबर को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा तिथि 7 सितंबर को मध्य रात्रि 1:41 बजे से शुरू होगी। यह तिथि 7 सितंबर को रात 11:38 बजे समाप्त होगी।

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत एवं स्नान

उदया तिथि के आधार पर भाद्रपद पूर्णिमा व्रत और भाद्रपद पूर्णिमा स्नान-दान भी 7 सितंबर को होगा.

सुकर्मा योग में भाद्रपद पूर्णिमा

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा पर इस साल सुकर्मा योग बन रहा है। आपको बता दें कि सुकर्मा योग सुबह के 9 बजकर 23  मिनट तक रहने वाला है। सुकर्मा योग के बाद धृति योग रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आप सुकर्मा योग में शुभ कार्य कर सकते हैं। आपको बता दें कि भाद्रपद पूर्णिमा की शुरुआत सुबह से लेकर रात 9 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। आपको बता दें कि सुकर्मा योग शतभिषा नक्षत्र में बनेगा।

भाद्रपद पूर्णिमा मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह के 04 बजकर 31 मिनट से लेकर सुबह के 05 बजकर 16 मिनट तक है। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 44 मिनट तक है। उस दिन का निशिता मुहूर्त 8 सितंबर को रात 11:56 बजे से रात 12:42 बजे तक है।

भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्रोदय

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रोदय का समय शाम को 6 बजकर 26 मिनट तक है।

भाद्रपद पूर्णिमा पर भद्रा का साया

इस बार भाद्रपद पूर्णिमा पर भद्रा का साया है। भद्रा सुबह 6:02 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:43 बजे तक रहेगी। यह भद्रा पृथ्वी पर रहती है। ऐसे में भद्रा में कोई भी शुभ कार्य न करें। अगर आप कार्य करेंगे तो उसमें बाधाएं आएंगी। भद्रा के अलावा, पंचक भी पूरे दिन रहेगा।

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