Vermicompost Farming: दुनिया ने जैविक खेती को अपनाना शुरू कर दिया है। जोधपुर के आधुनिक किसान रमेश पंवार ने भी इस रेस में खुद को शामिल कर लिया है। उन्होंने न केवल जैविक खेती को अपनाया बल्कि केंचुआ गतिविधि से बनी एक प्राकृतिक पोषक तत्वों से भरपूर एक खाद का उत्पादन भी किया। आईए जानते हैं उनके बारे में।
राजस्थान के निर्यात के लिए एक नई पहचान
यूं तो राजस्थान स्टील, ग्वार गम और अपनी हस्तशिल्प के लिए जाना जाता था। लेकिन आज जैविक खेती के इनपुट की बढ़ती मांग की वजह से इसे एक नई पहचान मिल रही है। रमेश पंवार की उच्च गुणवत्ता वाली केंचुआ खाद भारत के साथ-साथ खाड़ी देशों और न्यूजीलैंड सहित कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भेजी जा रही है।
गाय के गोबर और केंचुए का किया इस्तेमाल
इस खाद को तैयार करने के लिए एक खास विधि का इस्तेमाल किया जाता है। इस विधि को कहते हैं बेड सिस्टम। आसान शब्दों में बताएं तो ईटों की सीमाओं के साथ प्लास्टिक लाइन वाली सतह पर तीन से चार फीट चौड़ा एक बिस्तर तैयार किया जाता है। इसके बाद इस बिस्तर में सबसे पहले गाय का गोबर बिछाया जाता है और फिर केंचुओं को डाला जाता है। फिर इस मिश्रण को पुआल या फिर सूखी घास से ढक दिया जाता है। इस पूरे मिश्रण को नियमित रूप से पानी पिलाया जाता है। अगले कुछ हफ्तों में केंचुए कार्बनिक पदार्थ को अपने मल के माध्यम से बढ़िया समृद्ध खाद बनाते हैं। इस खाद को ₹10 से ₹12 प्रति किलोग्राम पर बेचा जाता है।
कैसे करें शुरू
वर्मीकंपोस्ट को शुरू करने के लिए सबसे पहले एक स्थान जरूरी है। ध्यान रखें कि यह स्थान जल भराव वाला नहीं होना चाहिए। इसके अलावा आपको गाय के गोबर, प्लास्टिक शीट, पुआल और उच्च गुणवत्ता वाले केंचुए जरूरी है।
जैविक खाद की मांग में वृद्धि
पंवार ने अपनी यह यात्रा लॉकडाउन के दौरान शुरू की थी। उनकी खाद की गुणवत्ता ने जल्द ही लोगों का ध्यान खींचना शुरू कर दिया था और कुछ ही सालों में मांग बढ़ गई थी। शुरुआत में आसपास की जगह होते मांग आनी शुरू हुई और उसके बाद विदेश तक यह मांग फैली।
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