राजस्थान का अनोखा पेड़: आज हम आपको राजस्थान के अलवर के उस अनोखे पेड़ के बारें में बताने वाले है जो चारों मौसम में हमेशा सदाबहार रहता है। इस पेड़ के लिए कभी मौसम नहीं बदलता है। यह अद्भुत पेड़ अलवर जिले के सर्किट हाउस में लगा हुआ है और इसकी खास बात यह है कि यह हमेशा हरा भरा ही रहता है। इस पेड़ का नाम है काला तेंदू जिसकी कई खूबियां है। आज इस लेख में हम आपको इस पेंड़ जुड़ी सभी जानकारी विस्तार से बताएंगे।
राजा जयसिंह पैरिस से लाए थे पेड़
इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने पेड़ के बारें में जानकारी देते हुए कहा कि इस पेड़ को अलवर के महाराजा जयसिंह साल 1924 में पेरिस से लेकर आए थे। उस समय वे पेरिस से लौटते समय एक दुर्लभ प्रजाति का पौधा अपने साथ लाए थे। जिसके बाद इसे सर्किट हाउस में लगाया गया था। तब किसी को खबर नहीं थी कि यह पेड़ किस चीज़ का है। लोगों को पता भी नहीं था कि इस पेड़ पर किसके फल आएंगे। लेकिन इस पेड़ पर कभी पतझड़ आते हुए किसी ने नहीं देखा। आज तक यह पेड़ उसी जगह पर लगा हुआ है। इसके बाद इस पेड़ का नाम काला तेंदू रखा गया। अलवर शहर में इस प्रकार के पेड़ देखने को नहीं मिलते है। इस पेड़ का फल चीकू जैसा होता है जो पहले खाने में खट्टा लगता है बाद में मीठा लगता है।  
पेड़ से जुड़ी अन्य जानकारी 
बीकानेर की एमजीएस विश्वविद्यालय के हैड वनस्पति शास्त्री डॉ. अनिल कुमार छगानी ने बताया कि तेंदू का वनस्पतिक नाम डाइओस्पाइरस मालाबेरिका है। यह ऐबेनेसी कुल से तालुक रखता है और इसे अंग्रेजी में गौब परसीमन कहते हैं। बाकी पेड़ो की तरह इसमें कभी पतझड़ नहीं आता है। भले ही कुछ पत्ते गिरते है लेकिन बाद में नए आ जाते है और यह पूरे साल हर मौसम में हरा भरा दिखाई देता है। इस पेड़ को भारत में अन्य नामों से भी जाना जाता है। पेड़ की छाल, इसकी गोंद और पत्तों का आयुर्वेदिक महत्व है। मध्य भारत में तेंदू पेड़ की पत्तियां सबसे महत्वपूर्ण एनटीएफपी प्रजातियों में एक मानी जाती है।
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