Jaipur Development Authority: सार्वजनिक उपयोग के लिए संस्थाओं को जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से जमीन का पट्टा दिया जाएगा। इसके लिए जेडीए ने नई मानक कार्य प्रणाली यानी एसओपी भी जारी कर दी है। विभाग ने इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन रखने का फैसला लिया है ताकि आवंटन के दौरान मनमानी के आरोपों से बचा जा सकें। साथ ही हर अधिकारी को विशेष जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। 

16 चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया

अधिकारी फाइल को अब कोई अनावश्यक रूप से नहीं रोक सकेगा। बता दें कि आवेदन से लेकर आवंटन तक की पूरी प्रक्रिया को 98 दिन में पूरा किया जाएगा। यह प्रक्रिया 16 चरणों में आयोजित की जाएगी। फिलहाल सरकारी, अर्द्ध सरकारी विभागों व ‘लैंड फॉर लैंड’ वाले सभी मामलों को इससे दूर रखा गया है। 

यह है आगे का प्लान 

विभाग के निर्णय के बाद मांग पत्र जारी किया जाएगा और राजस्थान सरकार को अभिशंसा समेत स्वीकृति भेजी जाएगी। इसके लिए कुल 24 दिन का समय लगेगा। बता दें कि रियायती दरों पर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भू-आवंटन मामलों में जमीन का सही उपयोग हो रहा है या नहीं। सााथ ही भू-आवंटन नीति-2015 की बिंदु संख्या 7 के तहत यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी। 

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सबसे पहले नागरिक सेवा केंद्र पर अप्लाई करना होगा। इसके लिए सभी जरूरी दस्तावेज और शुल्क जमा करना होगा। एक दिन के अंदर केंद्र के उपायुक्त फाइल को योजना सहायता को भेजेंगे। जिसके बाद तहसीलदार जमीन से जुड़ी जानकारी जैसे क्षेत्रफल, संस्था की प्रोजेक्ट रिपोर्ट और औचित्य की जांच करेंगे। इसे लैंड एंड प्रॉपर्टी कमेटी यानी एलपीसी में रखा जाएगा। यह काम 21 दिन में पूरा होगा। इसके बाद जेडीए द्वारा वेबसाइट के माध्यम से आपत्तियां मांगी जाएंगी, इसके लिए 15 दिन का समय तय किया गया है। 

आपत्ति दर्ज नहीं होने के बाद पत्रावली से जुड़ी जोन को फाइल भेजी जाएगी। इसके बाद जोन उपायुक्त कार्यालय में कनिष्ठ अभियंता, उप नगर नियोजक, लेखाकार, तहसीलदार, सहायक और विधि सहायक फाइल की जांच करेंगे। 12 दिन के बाद एजेंडा नोट तैयार कर एलपीसी प्रकोष्ठ को भेजा जाएगा। पांच दिन में एलपीसी प्रकोष्ठ अतिरिक्त आयुक्त, उपायुक्त जांच करेंगे और दस दिन में प्री एलपीसी बैठक आयोजित की जाएगी। जिसके 10 दिन बाद एलपीसी समिति अपना आखिरी निर्णय लेगी कि जमीन आवंटन की जाएगी या नहीं।