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Rajasthan Central Deputation: राजस्थान में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाना और भी कठिन कर दिया है। आइए जानते हैं पूरी जानकारी।

Rajasthan Central Deputation:  एक बड़े बदलाव के तहत राजस्थान सरकार ने राज्य कैडर के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के लिए केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाना और भी कठिन कर दिया है। दरअसल राज्य में अधिकारियों की कमी को लेकर बढ़ती चिताओं की वजह से प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। प्रशासन ने केंद्रीय पद के लिए आवेदन करने वाले अधिकारियों की संख्या को सीमित कर दिया है। 

हरी झंडी के बाद अस्वीकृति

आपको बता दें कि हाल ही में कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव केके पाठक ने केंद्रीय प्रति नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। शुरुआत में तो सरकार ने अनुरोध को मंजूरी दे दी थी, लेकिन बाद में अपने निर्णय को वापस ले लिया। यह अप्रत्याशित बदलाव अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को नियंत्रित करने के प्रशासन के सख्त रवैये दर्शा रहा है। बाकी अधिकारी खासकर जो प्रमुख पदों पर नहीं है अब आवेदन करने से बच रहे हैं। 

अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति क्यों चाहते हैं

आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति चुनने के लिए कुछ प्रमुख कारण प्रेरित करते हैं:

प्रमुख पदों के अभाव: कई अधिकारी जिन्हें राज्य में दरकिनार ही कर दिया गया है या फिर जिन्हें जरूरी जिम्मेदारियां नहीं दी गई, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़े अफसर के रूप में देखते हैं।

करियर विकास और अनुभव: केंद्रीय स्तर पर काम करने से अधिकारियों को बड़ा अनुभव प्राप्त होता है। यह अनुभव राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रशासन का होता है। इससे उनकी विशेषता का विस्तार होता है। 

गृह राज्य या परिवार से निकटता: अधिकारी कभी-कभी दिल्ली या फिर बाकी केंद्रीय स्थान पर तैनात परिवारों के सदस्यों के करीब रहने के लिए प्रतिनियुक्ति को चुनते हैं। 

क्यों है राज्य सरकार अनिच्छुक 

दरअसल राज्य में आईएएस अधिकारियों की भारी कमी है, जो केंद्र सरकार द्वारा समीक्षा में मांगे गए 52 पदों में से सिर्फ 19 पद प्रदान करने से और भी ज्यादा बढ़ चुकी है। इस वजह से अधिकारियों पर एक साथ कई विभागों का काम बढ़ जाता है। इसी के साथ मुख्य सचिव सुधांशु पंत के साथ कई अधिकारियों ने कई विभागों का अलग से प्रभार संभाला है। यह अतिरिक्त जिम्मेदारियां को दर्शा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि अकेले इस साल 33 वरिष्ठ अधिकारियों के सेवानिवृत होने की उम्मीद की जा रही है, इस वजह से अनुभवी नौकरशाहों की कमी और ज्यादा बढ़ सकती है।

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