Rajasthan Forts:  आप सभी ने राजस्थान के आमेर किला, मेहरानगढ़ किला और जयगढ़ किला जैसी जगहों के बारे में तो जरुर सुना होगा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं यहां के कुछ ऐसे किलों के बारे में जो ज्यादा प्रसिद्ध नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी बहादुरी और विरासत को अपने अंदर समेटे हुए। आईए जानते हैं कौन से हैं वें किलें।

जालोर किला 

यह किला जालोर शहर से 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस किले का निर्माण दसवीं शताब्दी में हुआ था।  इस किले के चार विशाल द्वारा है जिन्हें ध्रुव पोल, सूरज पोल, सिरोह पोल और बाल पोल के नाम से जाना जाता है। इस किले का आंतरिक हिस्सा अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।  

तिमनगढ़ किला 

यह किला करौली जिले में मासलपुर के पास स्थित है। इस किले का निर्माण 1100 ईस्वी में राजा तिमान पाल द्वारा करवाया गया था। यह किला अपने 80 बुर्जों और आंतरिक दीवारों पर बनी देवताओं की जटिल नक्काशी के लिए मशहूर है। जो लोग राजस्थान में ऑफबीट जगह के तलाश में है उन्हें जगह काफी पसंद आएगी। 

ढिकोला किला 

यह किला भीलवाड़ा में स्थित है। पुराने समय में यह किला गैरिसन किले के रूप में काम करता था। 1658 में सामूगढ़ की लड़ाई में इस किले ने एक अहम भूमिका निभाई थी।  इस लड़ाई में इस किले के द्वारा औरंगजेब के खिलाफ दारा शिकोह के साथ गठबंधन किया गया था।


गागरोन किला 

यह किला झालावाड़ में स्थित है और तीनों तरफ से काली सिंध नदी से घिरा हुआ है। इस किले को यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है। हालांकि इस किले में सुविधा कम हैं लेकिन यहां आपको शांति और प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलेगी।  यह किला उन लोगों को जरूर पसंद आएगा जो काम खोजे गए इलाकों में घूमना पसंद करते हैं ‌ 

लोहागढ़ किला 

लोहागढ़ का अर्थ होता है लोह किला। इसके नाम के पीछे यह कहानी है कि अंग्रेजों ने कई बार कोशिश की थी इस किले को जीतने की।  लेकिन वें हर  बार विफल रहे थे। इस किले का निर्माण 18वीं शताब्दी में जाट शासको द्वारा किया गया था। यह किला अपनी मजबूती के कारण प्रसिद्ध है। इस किले के चारों तरफ खाई है और इसी वजह से यह सुरक्षा में एक और परत जोड़ती है।

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