Jaipur News : जयपुर में गंभीर हादसों के इलाज के लिए बनाए गए ट्रॉमा सेंटरों की हकीकत कागजों से बिल्कुल उलट दिखाई दे रही है। हालात ये हैं कि जहां मरीजों को तुरंत इलाज मिलना चाहिए, वहीं अस्पतालों में स्टाफ और सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें इधर-उधर रेफर किया जा रहा है। ट्रॉमा सेंटर होने के बावजूद अधिकांश मरीजों को स्थिर कर दूसरे अस्पताल भेजना पड़ रहा है। ऐसी अव्यवस्था ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर आपात स्थिति में लोगों को राहत कब मिलेगी।
आरयूएचएस में ट्रॉमा सेंटर सिर्फ कागज़ों में, मरीज रोज़ रेफर
आपको बता दें कि आरयूएचएस हॉस्पिटल की इमरजेंसी में न तो अलग ट्रॉमा सेंटर का भवन है और न ही स्टाफ है। यहां से 8 से 10 मरीज रेफर किए जाते हैं। अस्पताल में ट्रामा सेंटर का नाम नहीं दिखता लेकिन कागजों पर इसे संचालित दिखाया जाता है।
ट्रामा सेंटर में होने चाहिए यह संसाधन
ट्रॉमा सेंटर में डेडिकेटेड भवन, एमआरआई/सीटी स्कैन मशीन,लैब, ड्रेसिंग रूम, आईसीयू, सीपीआर रूम, रजिस्ट्रेशन काउंटर, एक्स-रे रूम,ऑपरेशन थिएटर, दवा वितरण केंद्र, ईसीजी जांच सुविधा और ट्राइएज नियमों का पालन होना जरूरी है।
कांवटिया अस्पताल में सीमित सुविधा
कांवटिया अस्पताल में इमरजेंसी के साथ ट्रॉमा स्टेबलाइजिंग यूनिट तो चल रही है, लेकिन यहां गंभीर मरीजों का सिर्फ प्राथमिक इलाज ही हो पाता है। दिमाग, सीने या मल्टी ट्रॉमा वाले मरीजों की हालत को स्थिर करने के बाद उन्हें आगे इलाज के लिए एसएमएस ट्रॉमा सेंटर भेज दिया जाता है। स्थिति यह है कि हर दिन करीब 7 से 9 गंभीर मरीजों को रेफर करना पड़ता है।
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