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Jaipur Digital Bomb Threats : साल 2025 बीतने वाला है लेकिन अब तक धमकियों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। इस साल जयपुर में कुल 61 बार बम होने की ई-मेल धमकियां मिल चुकी हैं।

Jaipur Digital Bomb Threats : जयपुर में डिजिटल माध्यम से दी जा रहीं बम धमाकियों की बढ़ती घटनाएँ अब प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर सिरदर्द बन चुकी हैं। शहर बीते एक वर्ष में 61 बार ई-मेल से मिली धमकियों के चलते देशभर में डिजिटल टेरर के मामलों में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। हर बार सूचना मिलते ही पुलिस, बम निरोधक दस्ते, डॉग स्क्वॉड और आपदा प्रबंधन टीमें घंटों तलाशी अभियान चलाती हैं, लेकिन जांच में हर धमकी अफवाह साबित हुई है। लगातार मिल रही ये फर्जी मेल न केवल शहर में दहशत का माहौल बना रही हैं, बल्कि सरकारी संसाधनों और सुरक्षा बलों की लगातार ऊर्जा भी खर्च करवा रही हैं। इसी क्रम में हाई कोर्ट परिसर को भी लगातार तीसरे दिन बम धमाके की ई-मेल मिलने से सुरक्षा और चौकसी को और ज्यादा कड़ा करना पड़ा है।

सबसे ज्यादा निजी स्कूलों को मिल रही धमकियां

साल 2025 बीतने वाला है लेकिन अब तक धमकियों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। इस साल जयपुर में कुल 61 बार बम होने की ई-मेल धमकियां मिल चुकी हैं। जिसमें सबसे ज्यादा 29 धमकियां निजी स्कूलों को मिली हैं। उसके बाद 7 बार शहर के एसएमएस स्टेडियम को, 4 बार एयरपोर्ट को, हाईकोर्ट, सेशन कोर्ट और कलेक्ट्रेट को मिलाकर 11 धमकियां तथा मेट्रो स्टेशन व विभिन्न अस्पतालों को 10 धमकियां मिल चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस एवं साइबर टीम की क्षमता को हाई-टेक अपराधियों से ज्यादा करना पड़ेगा तभी शहर से इस तरह के डिजिटल टेरर खत्म हो पाएंगे।

क्यों नहीं पकड़े जा रहे अपराधी?

भारत में वीपीएन का उपयोग वैध है। इसका फायदा उठाकर कई अपराधी विदेशी सर्वरों या प्रॉक्सी के माध्यम से धमकी ई-मेल भेज देते हैं। ऐसे सर्वरों के कारण उन्हें ट्रेस करना कठिन हो जाता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय सहयोग, सर्वर लॉग्स, मेटाडेटा और डिवाइस फॉरेंसिक का प्रयोग करते हुए सही कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाए तो आरोपियों को पकड़ा जा सकता है।

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