Rajasthan News: एशिया का सबसे कच्चा बांध राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट में है। इस गौरव का पल यहां के पक्षियों के लिए संकट लेकर आ गया है। इस मोरेल बांध का पानी काफी जहरीला हो गया है, जो कि यहां के 20 हजार से अधिक प्रवासी पक्षियों के लिए खतरे की घंटी है। आपको बता दें कि इस बांध का पानी जहरीला हो रहा है, इसके लिए राजधानी जयपुर जिम्मेदार है।
पक्षियों के बिना सुना लग रहा स्थल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में स्थित रंगाई-छपाई कारखानों से निकलने वाला जहरीला पानी पिछले कई सालों से मोरेल नदी के रास्ते इस बांध तक पहुंच रहा है। इसी कारण से यह पानी काफी जहरीला हो गया है।
हर साल हजारों प्रवासी पक्षी इस बांध के आसपास वाले क्षेत्रों में रहने के लिए आते थे और ठंड खत्म होते ही वापस चले जाते थे। लेकिन इस बार प्रदूषण के कारण यह स्थान पक्षियों के बिना काफी सुना लग रहा है।
स्थानीय लोगों ने की थी अपील
बताया जा रहा है कि इस बांध को बचाने के लिए स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायत की और जहरीला पानी इस बांध में नहीं गिराने की अपील की, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। आज आलम ये है कि एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध का पानी जहरीला हो गया है।
राजेश पायलट राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लालसोट के प्राचार्य प्रोफेसर सुभाष पहाड़िया ने इसको लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह मोरेल बांध सिर्फ दौसा जिले का नहीं है, बल्कि प्रवासी पक्षियों के लिए पूरे प्रदेश का सबसे प्रमुख स्थल है।
इन प्रवासी पक्षियों का होता है आशियाना
इस मोरेल बांध पर हर वर्ष अक्टूबर से फरवरी महीने तक जो पक्षी आते हैं, उनमें ग्रेट व्हाइट पेलिकन, कॉमन टील, रोजी स्टर्लिंग, पेंटेड स्टॉर्क, ओपन बिल स्टॉर्क, लैपविंग, सेंडर लिंग, ग्रेटर फ्लेमिंगो, ऑस्प्रे, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, पाइड एवोसेट, इंडियन स्कीमर, वूली नेक्ड स्टार्क, रिवर टर्न जैसे दुर्लभ पक्षी शामिल हैं।