Kuldhara Village: राजस्थान, जो अपने अनोखे किस्सों और अतरंगी ढंग के लिए जाना जाता है। जो केवल मंदिरों, महलों या राजा-महाराजाओं के लिए नहीं, बल्कि कुछ अनसुलझी कहानियों के लिए भी जाना जाता है। इन कहानियों के प्रमाण आज भी कई स्थानों पर सुनने को मिलते हैं। जिसकी वजह से लोग इन जगहों पर जाने से डरते हैं। राजस्थान में भानगढ़ जैसे महल मौजूद हैं, जो एशिया के सबसे डरावने किलों में से एक है। ऐसा ही एक राजस्थान का गांव है, जिसके बारे में आज हम जानेंगे।

जैसलमेर कुलधरा गांव  

राजस्थान के जैसलमेर में स्थित कुलधरा गांव, जिसके बारे में एक किस्सा बहुत मशहूर है। जिसको भूतिया गांव के नाम से जानते हैं। जहां जाने से लोगों की रूह कांपती है।  एक समय ऐसा भी था जब भूतिया गांव के नाम से प्रसिद्ध यह गांव समृद्ध माना जाता था। यहां के लोग अपना जीवन बड़ी शांति के साथ जीते थे। इस गांव में उस समय ब्राह्मण समुदाय के लोग निवास करते थे।

पाली के ब्राह्मणों ने बसाया गांव

कुलधरा गांव की स्थापना 1291 वर्ष में पाली के ब्राह्मण के द्वारा की गई थी। यह गांव रेगिस्तान में बसाए जाने के बावजूद भी समृद्ध और खुशहाली लिए जाना जाता था। लेकिन साल 1825 में कुलधरा और इसके पास मौजूद 84 गांव एक रात अंधेरे में गायब हो गए, जिसके बारें में आज तक किसी को पता नहीं चला।  

कुलधरा गांव की प्रसिद्ध कहानी

इस गांव को लेकर एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है। जिसमें एक मंत्री जिसका नाम सलीम सिंह था। सलीम सिंह को इस गांव के मुखिया की बेटी पसंद आ गई थी। जिसके बाद उस मंत्री ने पूरे राज्य में ऐलान करवा दिया कि वह मुखिया की बेटी से शादी करेगा। जिसमें चाहे उसकी सहमति हो या नहीं।  

साथ ही उस दुष्ट मंत्री ने सभी गांव के लोगों को यह चेतावनी दी कि अगर वे उसके आदेश का पालन नहीं करेंगे तो इसके जिम्मेदार वे खुद होंगे। गांव वालों ने उस मंत्री की बात मानने के बजाय रातों-रात उस गांव को छोड़ने का फैसला किया। गांव को छोड़ते समय गांव वालों ने ही इस गांव को श्राप दिया था की यहां कभी किसी इंसान का बसेरा नहीं होगा। इसके बाद से यह गांव वीरान हो गया।  

गांव का अनसुलझा इतिहास

कुछ समय बाद इस गांव में कुछ लोगों ने बसने की पहल की थी, लेकिन असामान्य गतिविधियों के कारण उन्होंने इस गांव को छोड़ दिया और तब से आज तक यह गांव वीरान ही पड़ा है। इस गांव के आसपास अजीब सी आवाजें और किसी के होने का एहसास महसूस किया जाता है। 

हालांकि गायब हुए पंडितों की कोई पहचान नहीं की गई कि वे कहां गए। इस गांव के बारे में बताई गई कहानी पूरी तरह से सत्य है। ये जरूरी नहीं है, क्योंकि आज तक पूरे गांव का एक साथ गायब हो जाना एक कहानी बनकर रह गया है, जिसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया हैं।

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