Rajasthan SI Bharti : पूर्व सीएम अशोक गहलोत की सरकार के समय Sub Inspector भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ था। लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार के लिए यह परीक्षा सरदर्द बनी हुई है। भाजपा सरकार अभी तक एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने और न करने के संबंध में फैसला नहीं ले सकी है। लेकिन अब हाईकोर्ट ने सरकार को 10 दिन के भीतर भर्ती रद्द करने और न करने के संबंध में फैसला करने का आदेश दिया है।
राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस समीर जैन की अदालत में आज एसआई भर्ती परीक्षा को लेकर सुनवाई हुई। राजस्थान सरकार के अधिवक्ता को आदेश दिया है कि 15 मई तक सरकार एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने और न करने को लेकर कोई फैसला करे। अगर सरकार तय समय में कोई फैसला नहीं करती है तो हाईकोर्ट इसके ऊपर फैसला करेगा। इस मामले को लेकर अगली सुनवाई 15 मई को ही होगी।
राजस्थान हाईकोर्ट भर्ती को कर सकता है रद्द
राजस्थान सरकार के एसआई भर्ती को लेकर कोई फैसला न लेने पर राजस्थान हाईकोर्ट एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द कर सकता है। क्योंकि यह साबित हो चुका है कि एसआई भर्ती परीक्षा बड़े स्तर पर लीक हुई थी। इसके सबूत अब पब्लिक डोमेने में हैं। ऐसे में उन सबूतों को आधार बनाकर हाईकोर्ट भर्ती परीक्षा को रद्द करने का फैसला कर सकता है।
वहीं राजस्थान सरकार की भी सोच है कि एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने का दाग उनके ऊपर न आए। क्योंकि इससे तमाम ऐसे मेहनती छात्रों का भी नुकसान होगा जो कि कड़ा परिश्रम करके थानेदार बने हैं। अगर हाईकोर्ट भर्ती परीक्षा को रद्द करने का फैसला करता है तो सरकार को भी कोई दिक्कत नहीं होगी।
सीएम भजनलाल शर्मा क्यों नहीं ले रहे रद्द करने का फैसला
सीएम भजनलाल शर्मा भर्ती परीक्षा को रद्द करने के बजाए सीधे पेपर लीक माफिया पर कार्रवाई कर रहे हैं। अभी तक करीब 50 एसआई को बर्खास्त किया जा चुका है जो कि पेपर लीक की मदद से नौकरी लगे थे। इसके अलावा उन्हें गिरफ्तार करके चैन सिस्टम से पेपर लीक माफिया की मदद से नौकरी लगने वालों को पता लगाया जा रहा है। जिसमें एसडीएम स्तर के अधिकारी भी फंस चुके हैं।
सीएम भजनलाल शर्मा के निर्देश पर हो रही कार्रवाई अब सिर्फ एसआई भर्ती परीक्षा तक सीमित नहीं रह गई है। बल्कि गहलोत सरकार के राज में अलग अलग भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक की मदद से लगे छात्र पकड़ में आ रहे हैं। सीएम भजनलाल का मानना है कि अगर एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया तो पेपर लीक माफिया बच जाएगा। इसके अलावा पेपर लीक का सहारा लेकर नौकरी लगने वाले अपराधी छात्रों को भी फायदा होगा। क्योंकि एसओजी आगे इस मामले की जांच नहीं करेगी। वहीं जो छात्र मेहनत से नौकरी लगे हैं, उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा।