Udaipur Tradition:  राजस्थान जो अपने अंतरगी व अनोखी प्रथाओं के लिए जाना जाता है, इनमें से कई प्रथाएं ऐसी है जो समाज के लिए अच्छा संदेश देती है और कई गलत जो प्रथा के नाम पर कंलक है। सरकार ने उन पर रोक भी लगा दी है, लेकिन राजस्थान में ऐसी भी प्रथाएं भी है जिनको सुनकर आप को हैरानी होगी तो आइए ऐसी ही एक परंपरा के बारे में जानते हैं।

नीले शहर के निराले रिवाज

राजस्थान का ब्लू सिटी कहा जाने वाला शहर, जहां की परंपराएं भी उसके रंग की तरह निराली है, जिनको निभाए जाने की संस्कृति जरा हटके है। हिंदू शास्त्र में फेरे को एक पवित्र और महत्वपूर्ण रिवाज माना गया है, जिसके बिना कोई भी शादी पूरी नही होती हैं। फेरे का रिवाज हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।

समधिन लेती है आपस में फेरे

उदयपुर के श्रीमाली समाज में विवाह के दौरान एक रस्म निभाई जाती है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन की माताएं आपस में फेरे लेती है, सुनकर थोड़ा अजीब लगा होगा क्योंकि अक्सर हमने शादी में दूल्हा-दुल्हन को ही फेरे लेते हुए देखा इसलिए श्रीमाली समाज के द्वारा दोनों समधिन आपस में फेरे लिए जाना थोड़ा सुनने और पढ़ने में थोड़ा अजीब लग रहा है। लेकिन वहां के लोगों के लिए ये एक सामान्य बात है।

परंपरा को निभाए जाने के पीछे मान्यता

ये परंपरा उनकी संस्कृति का हिस्सा है, जिसकी मान्यता सालों से चलती हुई आ रही है। इस समाज के लोगों का मानना है कि इस परंपरा को निभाने से एकता और प्रेम बढ़ती है। इस मान्यता को माने जाने के पीछे एक कारण भी है, जिसमें श्रीकृष्ण का विवाह रुकमणी से हो रहा था।

तब दोनों की माताओं के बीच विवाद की स्थिति होने पर भगवान श्री कृष्ण ने दोनों माताओं के आपस में फेरे करवाएं थे। उसके बाद उनका विवाद खत्म हो गया था, इसके बाद ये तब से इस परंपरा को निभाते हुए आ रहे हैं।

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