Rajasthan Lok Devta: एक पौराणिक कथा के अनुसार पश्चिमी राजस्थान में पूजे जाने वाले लोक देवता मामादेव के रूठ जाने पर पूरे क्षेत्र में अकाल पड़ जाता है। पश्चिमी राजस्थान में आज भी मामादेव भगवान की पूजा की जाती है। लोक देवता की पूजा मूर्ति बनाकर पूजा नहीं की जाती है बल्कि घरों के दरवाजे पर तोरण लगाकर उनपर चिन्ह और छवियां तैयार की जाती है, उसके बाद उनकी पूजा अर्चना होती है।
बरसात के देवता के रूप में होती है पूजा
लोक देवता मामादेव को मेवाड़ बरसात के देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है यदि वे नाराज हो जाते हैं तो पूरे मेवाड़ में अकाल की स्थिति बन जाती है। फिर उन्हें मनाने की कोशिश की जाती है, जिसके बाद क्षेत्र में बारिश होती है।
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तोरण की होती है आराधना
बता दें कि मामादेव की कोई मूर्ति या मंदिर नहीं है, यहां के लोगों द्वारा तोरण के रूप में भगवान की आराधना की जाती है। लकड़ी का खास तोरण काफी कलात्मक होती है। इसे किसी मंदिर में स्थापित ना करके बल्कि गांव के बाहर मुख्य सड़क पर स्थापित किया जाता है। लगभग पांच फीट तक की ऊंचाई का यह तोरण मामादेव के रूप में पूजा जाता है। लोक देवता को बारिश लाने वाला देव माना जाता हैं। कहा जाता है कि यदि सच्चे मन और विश्वास से इनकी भक्ति ना की जाए तो वे गुस्सा हो जाते हैं और क्षेत्र में अकाल पड़ जाता है।
लोक देवता को खुश करने से होती है अच्छी बारिश
साहित्यकार महेंद्र भाणावत ने जानकारी दी कि लोक देवता मामादेव को प्रसन्न करने से अच्छी बारिश होती है। यहां के हर कण-कण में लोक देवता विराजते हैं। लोगों में उनकी बड़ी आस्था व विश्वास हैं और उन्हें खुश करने के लिए भारी संख्या में लोग उनकी पूजा-अर्चना सालों से करते आ रहे हैं।