Rajasthani Folk Music: राजस्थान को यूं तो वीरों की धरती कहा जाता है लेकिन यहां की प्रेम कहानियां भी उतनी ही मशहूर है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी ही प्रेम कहानी के बारे में जिसकी वजह से हमें केसरिया बालम गाना मिला। यह कहानी है ढोला और मारु के प्रेम की। 

गीत बना राजस्थान की पहचान 

'केसरिया बालम आवो नी पधारों म्हारे देश' इस गाने की एक पंक्ति ही पूरे राजस्थान की समृद्ध संस्कृति को दर्शा देती है। यह गाना प्रेम और विरह कि एक कथा है जो आज भी देश दुनिया में सुनाई जाती है। इस गीत की उत्पत्ति ढोला और मारु के प्रेम से हुई थी। आईए जानते हैं क्या थी  इनके प्रेम की कहानी। 

ढोला और मारु का प्रेम 

यह कहानी नरवर राज्य से शुरू होती है। यहां के राजा नल को एक बेटा हुआ। जिसका नाम शाल्वकुमार रखा गया। शाल्वकुमार को प्यार से ढोला भी कहा जाता था। बचपन में ही ढोला की शादी बीकानेर के पूंगल के राजा पिंगल की बेटी मारुवानी से कर दी गई थी। हालांकि ढोला मात्र 3 साल का था और मारु महज डेढ़ साल की। परंपरा के अनुसार मारु व्यस्त होने तक अपने माता-पिता के साथ ही रही। समय बीतता गया और अचानक पिंगल गांव में एक विनाशकारी अकाल पड़ा। यह अकाल इतना भयंकर था कि पूरा राज्य बिखर गया और ढोला और मारु के बीच बचपन का रिश्ता अब फीका पड़ने लगा।  इसी बीच ढोला अब बड़ा हो गया। ढोला ने फिर से शादी कर ली और अपनी पहली पत्नी को भूल गया। 

इसी बीच उसकी दूसरी पत्नी को मारु की खूबसूरती के बारे में पता चल गया। उसने यह सुनिश्चित किया की मारू का कोई भी दूध ढोला तक ना पहुंच पाए। अगर मारू की तरफ से कोई भी संदेश लेकर आता तो उसे मार दिया जाता। 

संगीत ने दिया साथ 

मारू के पिता को ढोल की पत्नी की चाल का पता चल गया। उन्होंने एक योजना बनाई। इस बार उन्होंने कोई भी पारंपरिक दूत भेजने की जगह एक नर्तकी के साथ एक ढोली (ढोलकिया ) भेज दिया। यह ढोलकिया 7 महीने तक यात्रा करता रहा और गाते नाचते हुए नरवर पहुंचा। शहर पहुंचकर उन्होंने अपने संगीत से पहरेदारों के साथ-साथ ढोला के घर वालों को भी मंत्र मुग्ध कर दिया।  मारू ने ढोली को मारू राग के कुछ दोहे सिखाए थे। इन दोहों में जुदाई का दर्द और फिर से मिलने की गहरी इच्छा थी। रात होने पर ढोली ने मल्हार राग में गाना शुरू किया। उसने केसरिया बालम गाया। इस गीत को सुनकर ढोला को मारु की याद आ गई। सब कुछ याद आ जाने पर वह एक काले ऊंट पर सवार होकर मारू को घर लाने के लिए चल दिया। इसके बाद वह मारू को विदा करा लाया।

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