Rajasthan Temple: बीकानेर जिसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है प्राचीन परंपराओं से भरा हुआ है। इस शहर के सदियों पुराने मंदिरों और पूजा स्थल भक्तों से भरे रहते हैं। आज के इस लेख में हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे ही मंदिर की जो प्राचीन तो है ही साथ ही अपने आकर्षक इतिहास के लिए भी जाना जाता है। हम बात कर रहे हैं देवीकुंड सागर के बद्रीनाथ मंदिर। 

तालाब के बीच में एक मंदिर 

देवीकुंड सागर के शांत गांव में बीकानेर से लगभग 15 किलोमीटर दूर बना भगवान बद्रीनाथ का यह मंदिर काफी खास है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह एक तालाब के बीच में बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर तक केवल तालाब के पानी को तैर कर ही पहुंचा जा सकता था।  भक्तों के साथ-साथ पुजारी जी भी यहां पूजा करने के लिए तैर कर ही मंदिर में जाते थे।

कब हुआ था इसका निर्माण 

इस मंदिर को पंचायत मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर कई देवताओं की स्थापना है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 210 साल पहले बीकानेर के महाराजा सूरत सिंह ने करवाया था। इस मंदिर के परिसर में 6 अलग-अलग मंदिर हैं। मुख्य देवता भगवान बद्रीनाथ जी के साथ कुबेर जी , नारद जी, भगवान विष्णु और दिव्य जुड़वा नर-नारायण की मूर्तियां भी यहां पर स्थापित है। 

सूख चुका है तालाब 

वक्त गुजरने के साथ-साथ अब इस मंदिर के चारों तरफ फैला हुआ तालाब का पानी सूख चुका है। जी मंदिर में पहले तैर कर जाना पड़ता था वह अब सड़क से जुड़ गया है।  आज भी वह प्राचीन कहानी स्थानीय लोक कथाओं में स्वर्ण अक्षरों में लिखी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में सच्ची श्रद्धा से मांगी गई कोई भी मुराद तुरंत पूरी हो जाती है।

इसे भी पढ़ें- मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना 2025-26: राजस्थान की भजनलाल सरकार की लागू, जानें कौन ले सकता है लाभ