RERA Rajasthan: रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण द्वारा रियल एस्टेट क्षेत्र में व्यापक अनियमितताओं का पर्दाफाश करते हुए और घर खरीदारों को राहत प्रदान करते हुए एक बड़ा कदम उठाया गया है। दरअसल एक प्रमुख बिल्डर मेसर्स गोरबंद फोर्ट एंड पैलेस एलएलपी को अपने प्रोजेक्ट द क्राउन में फ्लैटों की डिलीवरी में हुई देरी की वजह से 6 लाख का मुआवजा देना होगा। यह आदेश डेरा द्वारा दिया गया है। 

पीड़ित खरीदारों की शिकायत 

आपको बता दें कि घर खरीदार बीना शर्मा और कविता शर्मा ने 2017 में इस प्रोजेक्ट में 65 लाख के एक फ्लैट को बुक किया था। समझौते के मुताबिक दिसंबर 2018 तक, अतिरिक्त 6 महीने की मोहलत के साथ कब्जा सौंप दिया जाना था। लेकिन बार-बार पूछताछ के बावजूद भी बिल्डर ने समय पर संपत्ति नहीं दी। 4 साल से चली आ रही लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार खरीदारों को 2022 को कब्जा दे दिया गया। लेकिन सिर्फ एक अधूरे कंकाल जैसे फ्लैट का जिसके पास पूर्णता या फिर अधिभोग प्रमाण पत्र भी नहीं था। 

बिल्डर के दलीलें खारिज 

बिल्डर द्वारा रेत आपूर्ति, जीएसटी के कार्यान्वयन और कोरोना महामारी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दोष देकर देरी को उचित ठहरने की कोशिश की गई थी। लेकिन रेरा के निर्णायक अधिकारी आरएस कुल्हारी ने इन दलीलों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा की इस तरह के बहाने पूरी तरह से अविश्वसनीय है और बिल्डरों को अप्रत्यक्षित व्यावसायिक चुनौती के लिए पहले से योजना बनानी चाहिए। 

मानसिक और शारीरिक कष्ट के लिए मुआवजा 

रेरा द्वारा इस बात को स्वीकार किया गया है कि खरीदारों ने मजबूरी में अधूरे फ्लैट को स्वीकार किया और लंबी देरी की वजह से उन्हें मानसिक और शारीरिक कष्ट भी हुआ। इसी के परिणाम स्वरुप बिल्डर को भुगतान करने के आदेश दिए गए। बिल्डर को देरी के लिए 6 लाख का मुआवजा (2019 से 2022 तक 30 ₹20 हजार हर महीने) व मानसिक प्रताड़ना और मुकदमे बाजी की लागत के लिए 50 हजार।

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