Rajasthan News: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में राजस्थान पब्लिक ट्रस्ट एक्ट अमेंडमेंट 2025 को मंज़ूरी दी गई। इस अमेंडमेंट के तहत, तीन मुख्य कानूनों में अपराधों के लिए जेल की सज़ा का प्रावधान हटा दिया गया है और उसकी जगह जुर्माना लगाया गया है। कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार का मकसद "जीवन और बिज़नेस के तरीके" को मज़बूत करना है ताकि नागरिक और बिज़नेस बिना किसी परेशानी के सर्विस और सुविधाएँ पा सकें।
राजस्थान सरकार कैबिनेट का फ़ैसला
राजस्थान के तीन कानूनों से अब जेल की सज़ा हटा दी गई है। जयपुर वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड एक्ट, 2018 के तहत पानी की बर्बादी, अवैध कनेक्शन, या सीवरेज ब्लॉकेज के मामलों में अब सिर्फ़ जुर्माना लगेगा, जेल की सज़ा नहीं। इस बदलाव से शहरी कंज्यूमर्स और आम जनता को काफ़ी राहत मिलेगी।
इंडस्ट्रीज़ एक्ट में बदलाव: डॉक्यूमेंट्स न दे पाने पर अब जेल नहीं होगी
राजस्थान स्टेट असिस्टेंस (इंडस्ट्रीज़) एक्ट, 1961 में बदलाव के बाद, इंस्पेक्शन के दौरान डॉक्यूमेंट्स न दिखा पाने पर अब जेल की सज़ा के बजाय जुर्माना लगेगा। इस फैसले से छोटे व्यापारियों और एंटरप्रेन्योर्स को राहत मिलेगी।
जंगल की ज़मीन पर मवेशी चराने पर जेल की सज़ा खत्म
फॉरेस्ट एक्ट 1953 में बदलाव के तहत, जंगल की ज़मीन पर मवेशी चराने पर अब सिर्फ़ जुर्माना लगेगा। यह फैसला आदिवासी और ग्रामीण समुदायों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। पहले जंगल की लकड़ी काटने या नुकसान पहुँचाने पर छह महीने की जेल होती थी, अब इसकी जगह ₹5,000 का जुर्माना लगाया गया है।
पेड़ काटने पर भी जुर्माना बढ़ा दिया गया है। पहली बार ₹1,000 का जुर्माना लगेगा। दूसरी बार ₹2,000 का जुर्माना लगेगा।









