Jaipur Development Authority: राजस्थान की राजधानी जयपुर का भविष्य उज्जवल करने की जिम्मेदारी जयपुर विकास प्राधिकरण को सौंपी गई है। जयपुर में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर सोसायटी के फैसले जेडीए किया करता है। लेकिन फिलहाल जेडीए के एक फैसले से पूरी सोसाइटी ही तंग आ चुकी है। आशादीप किंग्स कोर्ट सोसाइटी का प्रकरण JDA की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है। एक चुनी हुई समिति को बिना किसी ठोस आधार के सस्पेंड करना जेडीए की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, JDA जोन-9 की सक्षम प्राधिकारी अधिकारी द्वारा दिया गया 21 जुलाई 2025 का एक अंतरिम आदेश, जिसने आशादीप किंग्स कोर्ट सोसाइटी की पूरी व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया। इससे निवासियों को रोज़मर्रा की सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। सोसाइटी के लोगों ने जेडीए से सवाल किया है कि यह व्यवस्था सोसाइटी को सुधारने के लिए था या बिगाड़ने के लिए।
मेंटेनेंस शुल्क में की गई थी कटौती
दस्तावेजों के अनुसार, वर्ष 2024 में सोसाइटी की प्रबंधन समिति का चुनाव होना था। लेकिन चुनाव अधिकारी के अचानक त्यागपत्र देने से प्रक्रिया थम गई। इस पर निवासियों ने सर्वसम्मति से एक प्रबंधन समिति का गठन किया। इस समिति ने कार्यभार संभालने के बाद मेंटेनेंस शुल्क में 15 फीसदी की कटौती की, पारदर्शी ढंग से हर माह आय-व्यय का ब्यौरा साझा किया और क्लब हाउस, स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं का दुरुपयोग रोककर अनुशासन लागू किया। लेकिन कुछ पूर्व पदाधिकारी और उनके समर्थक, जो इन सुविधाओं का बिना शुल्क निजी उपयोग करने के आदी थे, नए नियमों से असहज हो गए।
क्या है सोसाइटी निष्क्रिय का नियम?
लोगों ने प्रबंधन समिति के खिलाफ एक साल बाद जेडीए में परिवाद दायर कर दिया। कानून के मुताबिक ऐसी याचिका 30 दिन के भीतर ही दाखिल हो सकती थी। लेकिन JDA अधिकारी ने बिना किसी जांच के 21 जुलाई 2025 को आदेश पारित करते हुए समिति को निष्क्रिय कर दिया। JDA के अंतरिम आदेश में कहा गया कि रोजमर्रा के कामकाज देखने के लिए दो सदस्यीय समिति बनाई जाएगी। लेकिन दो में से एक सदस्य ने पद ही स्वीकार नहीं किया और दूसरा अकेला व्यक्ति ही स्वयं को सर्वेसर्वा घोषित कर रहा है। यानी सोसाइटी की जिम्मेदारी एक तरह से “वन मैन शो” बन गई।
पूर्व अध्यक्ष और उनके समर्थकों की भूमिका संदिग्ध
सोसाइटी के कई निवासियों ने कहा है कि पूर्व अध्यक्ष और उनके साथी शुरू से ही सुविधाओं का निजी लाभ लेते रहे हैं। क्लब हाउस में निजी पार्टियां, स्विमिंग पूल का निजी उपयोग और मेंटेनेंस शुल्क देने से परहेज उनकी आदत रही है। नई समिति ने जब इन पर रोक लगाई, तो वही लोग सक्रिय होकर JDA का दरवाजा खटखटाने पहुंच गए। दस्तावेजों में साफ लिखा है कि वाद कारण बनने के लगभग एक वर्ष बाद केवल इसीलिए दाखिल किया गया कि वे सोसाइटी की सुविधाओं का पूर्ववत दुरुपयोग कर सकें।