Live-In Relationship Judgment: राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि जिन बालिग लड़कियों की शादी योग्य उम्र नहीं हुई है, वे अपनी इच्छा से किसी के साथ रहने का निर्णय ले सकती हैं। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक प्रेमी युगल ने सुरक्षा देने की मांग को लेकर याचिका दायर करने के बाद दी है। मानव जीवन का अधिकार व्यक्ति के बालिग या नाबालिग होने से ऊपर है। ऐसे में प्रार्थियों की शादी योग्य उम्र नहीं होने की वजह से उनके मौलिक अधिकार नहीं छीने जा सकते हैं।
इसके साथ ही अदालत में नोडल अधिकारी को कहा कि वह प्रार्थियों की ओर से पेश अभ्यावेदन को कानूनी तौर पर तय करें और उन्हें आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षा भी दी जाए। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश 18 साल की लड़की और 19 साल के लड़के की याचिका पर दिया है। वहीं अधिवक्ता सत्यम खंडेलवाल ने बताया कि प्रार्थीगण 18 साल युवति और 19 साल का लड़का शादी करना चाहते हैं, लेकिन शादी की उम्र नहीं होने की वजह से वह एक साथ रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं। उन्होंने 27 अक्टूबर को लिव-इन-रिलेशनशिप एग्रीमेंट भी बनवाया था, लेकिन लड़की के घर वाले इसके खिलाफ हैं।
अपनी मर्जी से एक साथ रह सकते हैं
इसको लेकर लड़की के घर वाले ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी। ऐसे में अदालत ने कहा है कि जिन बालिगों की उम्र शादी की नहीं है। वह अपनी मर्जी से एक साथ रह सकते हैं और उनका यह मौलिक अधिकार है। जिसे कोई दूसरा नहीं छीन सकता है।
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हाई कोर्ट के इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि बालिग होने के बाद किसी को भी उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी से अलग नहीं किया जा सकता है। यह फैसला उन युवाओं के लिए राहतभरा माना जा रहा है जो परिवारिक या सामाजिक दबाव के कारण अपने संबंधों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।