Rajasthan Electricity: राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है कि बिजली वितरण के निजीकरण हेतु प्रस्तावित एन्युटी मॉडल को लागू करने से पहले ही रोक दिया गया है। बिजली कंपनियां अपने पहले वाले प्रारूप (आरडीएसएस) पर काम कर रही हैं जिसके अंतर्गत घरेलू उपभोक्ताओं को बिना रुकावट बिजली बहाली के लिए सिस्टम अपग्रेडेशन पर काम करने की शुरुआत हो चुकी है।

घरेलू व कृषि फीडर को अलग किया जाएगा

15 सर्कल में 1325 करोड़ कृषि और घरेलू फीडर को अलग अलग किए जाने का प्रावधान है। इसके अंतर्गत 33 केवी के 1244 फीडरों को चुना गया है। इस योजना के अन्तर्गत सबसे ज्यादा काम जयपुर ग्रामीण, भिवाड़ी, दौसा, धौलपुर व बारा जिले में होने हैं। 

चुनौतीपूर्ण कार्य

इस तरह के फीडर सेमीग्रेशन का काम बहुत चैलेंजिंग है क्योंकि पहले फेज में निर्धारित 2700 फीडर्स में मात्र 600 का ही सर्वे हो पाया था जिन्हें घरेलू व कृषि फीडर के रूप में अलग किया जाना था। इस प्रक्रिया में राइट ऑफ वे जैसी कई समस्याएं हैं जिन्हें काम की शुरुआत के पहले ही निपटाना अपरिहार्य है।

जानिए हेम मॉडल क्या है?

एनएचआई के ढर्रे पर ही डिस्कॉम ने हेम मॉडल पर काम करना शुरू किया है। इसके अंतर्गत 10 से 25 वर्ष तक देखरेख व संचालन होना था लेकिन अभियंताओं की आम सहमति न बनने के कारण कंपनियों ने भी हाथ खींच लिए। इस संबंध में कुछ उच्च पदस्थ लोगों की भूमिका संदेहास्पद है। लेकिन अब और ऊंचे स्तर पर हस्तक्षेप के बाद काम को ने सिरे से करने की तैयारी है।

घरेलू व कृषि उपभोक्ताओं को आसानी से बिना बाधा बिजली उपलब्ध कराने पर कयावद फिलहाल एक ही फीडर से घरेलू और कृषि दोनों ही उपभोक्ताओं को बिजली दी जा रही है। कृषि कनेक्शन पर 6 घंटे (थ्री फेज पर) सप्लाई दी जा रही है। शेष समय ये फीडर सिंगल फेज पर काम करता है। पर अधिकतर ऐसा होता है सिंगल फेज की सप्लाई के समय ही कृषि के कामों के लिए बड़ी मोटर व पंप चालू कर दिए जाते हैं जिसके कारण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली आपूर्ति बाधित होती है। इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए घरेलू व कृषि उपभोक्ताओं के फीडर को अलग अलग करने के लिए जोर शोर से तैयारी चल रही है।

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