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Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में फिर हलचल शुरू हो गई है। कांग्रेस कभी ही प्रदेश के 48 जिलों में अध्यक्षों के नामों का ऐलान कर सकती है। इसको लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। 

Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में नया मोड़ आने वाला है। प्रदेश में लगातार कांग्रेस सरकार अपनी संगठन को मजबूत करने का प्रयत्न कर रही है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बड़ा फैसला किया है, जिसके तहत राजस्थान के 50 जिलों में से 48 जिलों में जिला अध्यक्षों की जल्द घोषणा की जाएगी। इसके लिए पैनल भी तैयार कर दिए गए हैं। 

दो जिलों में क्यों नहीं नियुक्त होगा जिलाध्यक्ष

मीडिया रिपोर्ट से मुताबिक, राजस्थान कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान के तहत यह पैनल तैयार किए गए हैं, जिसमें कुल 48 जिले शामिल हैं। बताते चलें कि दो जिले बारां और झालावाड़ को उपचुनाव के कारण वर्तमान के लिए छोड़ा गया है, लेकिन जैसे ही वहां भी उपचुनाव संपन्न होगा। वहां भी जिला अध्यक्ष के चुनाव के लिए पैनल तैयार कर लिया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस प्रक्रिया को लेकर कहा कि जिला अध्यक्ष का चुनाव इस बार पूरी तरह से प्रदर्शित के साथ किया जाएगा।

हर जिले में बनाए गए 6 पर्यवेक्षक 

 बताते चलें कि पार्टी आलाकमान के द्वारा हर जिले में 6-6 पर्यवेक्षकों के नाम शामिल किए गए हैं, हालांकि कुछ जिलों में यह संख्या 6 से काम भी है। आज यानी 24 अक्टूबर को इस फैसले को लेकर पार्टी मुख्यालय पर के वेणुगोपाल ने पर्यवेक्षक और राजस्थान प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा के साथ कई बड़े नेता इस बैठक में शामिल हुए और पैनल तैयार करने को लेकर फैसला किया गया है। 

मीडिया सूत्रों की मानें तो राजस्थान के कई बड़े नेताओं के समर्थन करने वाले कार्यकर्ता के नाम भी इस सूची में शामिल है। इसमें पर्यवेक्षक के रूप में जयपुर से पुष्पेंद्र भारद्वाज, अमीन कागजी अर्चना शर्मा, सुनील शर्मा, रफीक खान और तिवारी खान का नाम शामिल किया गया है। इसके अलावा जयपुर ग्रामीण से हरस्थाई यादव, बाबूलाल नागर, विद्याधर चौधरी, हरीश यादव और हनुमान बराला के नाम शामिल हैं। इसके अलावा जयपुर ग्रामीण पूर्व से मोहन नगर, राजेंद्र यादव, वेद प्रकाश सोलंकी, गोपाल मीणा के अलावा मनीष यादव का नाम शामिल किया गया है। 

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